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भाजपा में शामिल जितिन प्रसाद के पारिवारिक मित्र हैं सचिन पायलट, अटकलों का बाजार गर्म

कभी राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने के बाद सियासी जगत में हलचल मची है। जितिन के बाद उनके पारिवारिक दोस्त और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 08:56 AM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 05:58 PM (IST)
भाजपा में शामिल जितिन प्रसाद के पारिवारिक मित्र हैं सचिन पायलट, अटकलों का बाजार गर्म
भाजपा में शामिल जितिन प्रसाद के पारिवारिक मित्र हैं सचिन पायलट, अटकलों का बाजार गर्म

नैनीताल, जागरण संवाददाता : उत्तर प्रदेश से सांसद रहे और कभी राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने के बाद सियासी जगत में हलचल मची है। जितिन के बाद उनके पारिवारिक दोस्त और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। पायलट ने कुमाऊं लिटरेरी फेस्टिवल में तब हिस्सा लिया था जब वे राजस्थान में बतौर उपमुख्यमंत्री का दायित्व निर्वहन करने के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष का भी पदभार संभाल रहे थे। इस फेस्टिवल का आयोजन जितिन प्रसाद की बहन जान्हवी करती हैं। दो साल पहले उन्होंने फेस्टिवल में शिरकत करने के लिए जब पायलट को आमंत्रित किया तो वे तमाम व्यवस्ताअओं के बावजूद इनकार नहीं कर पाए और नैनीताल पहुंचे।

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नैनीताल में एटीआई के पास पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र प्रसाद की प्रसादा भवन नाम से आलीशान संपत्ति है। इसी कोठी में हिमलयाज इकोज की ओर से लिटरेरी फेस्टीवल आयोजित किया जाता है। दो साल पहले हुए आयोजन में नामचीन रचनाकार नमिता गोखले, पुष्पेश पंत समेत अन्य शामिल हुए थे। राजनीतिक हस्तियों में राजस्थान के तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट शामिल हुए थे। दोनों परिवारों के बीच खासकर सचिन व जितिन के बीच दोस्ती गहरी है। यही वजह है राजनीतिक व्यस्तताओं के बीच सचिन नैनीताल आए और खुलकर राजनीतिक मामलों पर राय रखीं। जितिन के भाजपा में शामिल होने पर उनकी बहिन जान्हवी प्रसाद ने किसी तरह की राजनीतिक टिप्पणी नहीं की। बोली भगवान की इच्छा यही होगी।

नैनीताल के पूर्व सांसद भी नाराज

उत्तराखंड कांग्रेस में प्रदेश उपाध्यक्ष व दो बार सांसद रहे डॉ. महेंद्र पाल भी नाराज बताए जा रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने डॉ पाल के बजाय पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को उतारा था। मोदी लहर में रावत को भाजपा के सूबाई दिग्गजों में शुमार अजय भट्ट से हार मिली थी। हाईकमान की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री को मिल रही तवज्जो को देखते हुए डॉ पाल पार्टी में भविष्य की राजनीति को लेकर आशावान नहीं हैं। उन्होंने इन दिनों कांग्रेस में सक्रियता भी कम कर दी है।

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