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रटने के बजाय अध्ययन करने की जरूरत

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय संगठन मंत्री मुकुल कानितकर ने कहा कि आज

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Jun 2018 07:32 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jun 2018 07:32 PM (IST)
रटने के बजाय अध्ययन करने की जरूरत
रटने के बजाय अध्ययन करने की जरूरत

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय संगठन मंत्री मुकुल कानितकर ने कहा कि आजकल अध्ययन बंद हो गया है। बस रटना रह गया है। उन्होंने गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को श्रेष्ठ बताते हुए कहा कि उसी तरह की शिक्षा की जरूरत है। तब रटने के बजाय गहन अध्ययन होता था।

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सोमवार को उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में भारतीय शिक्षा का सम-सामयिक परिदृश्य विषय पर आयोजित व्याख्यान में बोलते हुए मुकुल ने कहा कि गुरुकुल की शिक्षा जीवन प्रणाली की शिक्षा देती है। अगर जीवन की शिक्षा होगी तो पूरा ज्ञान होगा। भारतीय शिक्षा व्यवस्था पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा व्यवस्था में रटने की प्रवृत्ति ठीक नहीं है। इससे हम संतुष्ट नहंीं हैं। मुकुल ने कहा भारत में अनुभूति को ज्ञान कहा जाता है। जबकि, ज्ञान के लिए इंद्रियों को संयमित किए जाने की जरूरत है। भारतीय शिक्षण मंडल के ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि शैक्षिक स्तर में सुधार लाने को शिक्षण मंडल कृतसंकल्प है। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. नागेश्वर रावत ने कहा कि विचार व व्यवहार सकारात्मक होने पर ही व्यक्ति सफल होता है। शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए वृहद रूप से कार्य की आवश्यकता है। कुलसचिव प्रो. आरसी मिश्र ने शिक्षा में सुधारों के प्रयास की सराहना की। संचालन डॉ. देवेश मिश्र ने किया। इस दौरान कुलपति ने संस्कृत विद्या शाखा की वेबसाइट का लोकार्पण किया।


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