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आरजे काव्य की नई शुरुआत, उत्तराखंड के हर जिले की अब रेडियो पर होगी गूंज

त्तराखंड में जल्द एक नई तरह का रेडियो शुरू होने वाला है। उत्तर का पुत्तर और एक पहाड़ी ऐसा भी नाम से मशहूर होने वाले आरजे काव्य इसकी शुरुआत करेंगे। जिसमें पहाड़ के हर जिले की गूंज सुनाई देगी।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 10 Nov 2020 12:05 PM (IST)Updated: Tue, 10 Nov 2020 06:29 PM (IST)
आरजे काव्य की नई शुरुआत, उत्तराखंड के हर जिले की अब रेडियो पर होगी गूंज
आरजे काव्या की नई शुरुआत, उत्तराखंड के हर जिले की अब रेडियो पर होगी गूंज

हल्द्वानी, गोविंद बिष्ट : उत्तराखंड में जल्द एक नई तरह का रेडियो शुरू होने वाला है। 'उत्तर का पुत्तर' और 'एक पहाड़ी ऐसा भी' नाम से मशहूर होने वाले आरजे काव्य इसकी शुरुआत करेंगे। जिसमें पहाड़ के हर जिले की गूंज सुनाई देगी। 24 घंटे चलने वाले रेडियो कार्यक्रम में देहरादून और नैनीताल के लिए तीन-तीन और अन्य जिलों के लिए एक-एक घंटे का एपीसोड होगा।

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मूल रूप से बागेश्वर के रहने वाले बागेश्वर के रहने वाले कवींद्र सिंह मेहता पिछले 12 साल से रेडियो जाकी के तौर पर काम कर रहे हैं। दिल्ली, कानपुर, कोलकात्ता, कानपुर, जोधपुर में संघर्ष करने के बाद तीन साल पहले वह देहरादून पहुंचे। दून में बतौर रेडियो जाकी बहुत कम समय में आरजे काव्य ने अपनी एक अलग पहचान बना ली। पहाड़ की कई प्रतिभाओं जिनमें लोकगायक, खिलाड़ी, संस्कृति प्रेमियों को हाइलाइट कर लोगों से रूबरू करवाने के साथ श्रोताओं का भी मनोरंजन किया। हाल में काव्य ने पुराने रेड‍ियो स्‍टेशन को अलविदा कह दिया। और अब जल्द उनका 'ओहो रेडियो उत्तराखंड, मेरे हिल की धड़कन' नाम से नया रेड‍ियो स्‍टेशन लाने जा रहे हैं। जिसके में काव्य के अलावा और भी नए रेडियो जाकी की आवाज दर्शकों और श्रोताओं को सुनने के लिए मिलेगी।

बाहर रहने वाले उत्तराखंडियों की भी बात: आरजे काव्य ने बताया कि दून में तीन सात उनके रेडियो एपीसोड के श्रोताओं में बड़ी संख्या में पहाड़ और घर से दूर रहने वाले उत्तराखंडी भी शामिल रहे। यही वजह है कि 24 घंटे रेडियो पर अलग-अलग कार्यक्रम चलेंगे। ताकि नौकरी व बिजी शेड्यूल से निपटने के बाद लोग आनंद ले सके।

फिर करूंगा पहाड़ की बात

बातचीत में आरजे काव्य ने बताया कि पुराना शो छूटने के बाद लोग उनसे पूछ रहे थे कि अब दोबारा पहाड़ की बात कब होगी। जिसके बाद से वह नए प्रोजेक्ट पर लगे हुए थे। काव्य के मुताबिक प्रदेश के लोगों ने उन्हें नाम व सम्मान दोनों दिया। इसलिए जल्द वह दोबारा पहाड़ के लोगों से पहाड़ की बात करेंगे।


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