आइआइटी-आइआइएम के बाद लाखों का पैकेज छोड़ा, अब विकसित कर रहे उत्तराखंड का पर्यटन
ऋषि का बचपन पहाड़ की गोद में बीता। अल्मोड़ा में जन्म हुआ और कोटद्वार में पले-बढ़े। हर छात्र की तरह आसमान छूने की चाहत में कड़ी मेहनत कर आइआइटी मुंबई से बीटेक और अहमदाबाद आइआइएम से मैनेजमेंट की पढ़ाई की।
काशीपुर, अभय पांडेय : ऋषि का बचपन पहाड़ की गोद में बीता। अल्मोड़ा में जन्म हुआ और कोटद्वार में पले-बढ़े। हर छात्र की तरह आसमान छूने की चाहत में कड़ी मेहनत कर आइआइटी मुंबई से बीटेक और अहमदाबाद आइआइएम से मैनेजमेंट की पढ़ाई की। तकरीबन एक दशक तक मल्टीनेशनल कंपनियों में लाखों के पैकेज पर नौकरी की लेकिन, पहाड़ के प्रति प्रेम ने फिर वापस बुला लिया।
ऋषि सनवाल ने लाखों का पैकेज छोड़कर रामनगर से रानीखेत के बीच अपना पर्यटन व्यवसाय शुरू किया है। कहते हैं कि सबकुछ छोड़कर पहाड़ पर रिजॉर्ट शुरू करने का फैसला आसान नहीं था। आने वाले दिनों में उत्तराखंड पर्यटकों के लिए बेहतर और पसंदीदा जगह बनेगी। ऐसे में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए शोध के बाद कार्ययोजना पर काम कर रहे हैं। इसमें युवाओं को पर्यटन क्षेत्र से जोडऩे के साथ ही ट्रैकिंग, फॉरेस्ट गाइड और जड़ी-बूटी मार्केट, ऐपण कला, कुमाऊंनी व्यंजन व लोककलाओं में प्रशिक्षण देकर पारंगत बनाना भी शामिल है। जिससे पहाड़ के युवाओं को रोजगार के लिए पलायन न करना पड़े।
पूरी दुनिया देखा लेकिन पहाड़ से मोह नहीं छूटा । ऋषि की शुरुआती पढ़ाई कोटद्वार में हुई। हाई स्कूल करने के बाद ही उनका रुझान इंजिनियरिंग क्षेत्र में था। पहले ही प्रयास में उनका दाखिला मुंबई आइआइटी में हुआ। पढ़ाई का यह सफर यहीं नहीं रुका इसके बाद मैनेजमेंट की परीक्षा में सफल हुए और आइआइएम अहमदाबाद पहुंचे। वर्ष 2001 में मैनेजमेंट की की पढ़ाई के दौरान ही कैंपस सलेक्शन में उनकी नौकरी एक मल्टीनेशनल कंपनी में बतौर कंसलटेंट के तौर पर हुई।
उन्होंने तकरीबन 10 सालों तक बजाज, हिन्दुस्तान लीवर जैसी बड़ी कंपनियों के मार्केट ग्रोथ के लिए परामर्शदाता के रूप में काम किया। लाखों के पैकेज पर काम करने के बाद भी पहाड़ की याद उन्हें अपनी तरफ खींच रही थी। उन्होनें वर्ष 2012 फैसला किया कि वह अपना खुद का ऐसा काम करेंगे जिससे वह अपने बल पर पहाड़ के लोगों को रोजगार दे सकें। एक साल तक उन्होंने नौकरी छोड़कर भविष्य की प्लानिंग पर काम किया।
अपने अनुभव से व्यवसाय को बनाया बेहतर
ऋषि सनवाल बताते हैं कि एक साल की प्लानिंग के बाद उन्होंने तय कि वह ऐसा रिजार्ट बनाएंगे जहां आना पर्यटकों की जिंदगी के लिए सबसे यादगार पल हो जाए। रामनगर से रानीखेत रोड के घाटी इलाके में उन्होंने प्रकृति की गाेद में अपना रिजार्ट बनाया। इसके लिए ऋषि विशेष प्लानिंग की। खासकर पर्यटकों के लिए नार्थ इंडियन खाने से लेकर पहाड़ के व्यंजन और घूमने के लिए ट्रेकिंग, फॉरेस्ट गाइड, वर्ड वाचिंग जैसी सुविधा दी। जिससे पर्यटक प्रकृति को करीब से जान सके।
कोविड काल में खोज लिया अवसर
ऋषि सनवाल बताते हैं कि कोविड काल जाहिर तौर पर सभी के लिए चुनौती भरा समय है। इस समय में बेहतर प्लानिंग करने की जरूरत है। इसके लिए खासताैर पर मैंने उत्तराखंड में पर्यटन का विकास कैसे हो और क्या संभावनाएं भविष्य में हो सकती हैं इसपर काम कर रहा हूं। रिवर्स पलायन के जरिए लौटे युवआों को आने वाले समय में पर्यटन से जोड़ा जा सकता है। इसके लिए जरूरत है कि हम ऐसे युवाओं को प्रशिक्षत कर सकें।
पर्यटन को बढ़ावा देने का रोड मैप
- दिल्ली से प्रमुख पर्यटक स्थलों को जोड़ने वाली स्टेट हाइवे की सड़कों का कायाकल्प
- पयर्टन स्थलों के पास बेहतर इन्फ्रांस्टक्चर डवलमेंट
- नेट क्ननेक्टीविटी और मोबाइल नेटवर्क पर काम
- ट्रैकिंग, फॉरेस्ट गाइड और जड़ी-बूटी मार्केट, ऐपण कला, कुमाऊंनी व्यंजन व लोककलाओं में प्रशिक्षण
- होटलों व रेस्टोरेंट में बेहतर वर्क कल्चर डवलपमेंट
काबिले तारीफ है ऋषि का प्रयास
आइआइएम फीड के सीईओ शिवेन ने बताया कि आइआइटी व आइआइएम से पढ़ाई के बाद मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ ऋषि पहाड़ में रोजगार सृजन के जो प्रयास कर रहे हैं वाकई काबिले तारीफ हैं। हमें उम्मीद है कि आगे भी ऐसे लोग पहाड़ की तरफ लौटैंगे और पर्यटन क्षेत्र का विकास होगा।