जिला क्रीड़ा संघ के साथ करार की होगी समीक्षा
जागरण संवाददाता, नैनीताल : डीएसए मैदान और पार्किग से होने वाली आय के बंटवारे को लेकर पूर्व पालिकाध्य
जागरण संवाददाता, नैनीताल : डीएसए मैदान और पार्किग से होने वाली आय के बंटवारे को लेकर पूर्व पालिकाध्यक्ष मुकेश जोशी व जिला क्रीड़ा संघ महासचिव के साथ समझौता पालिका बोर्ड से पारित नहीं होने की वजह से सवालों के घेरे में है। माली हालत खराब होने की वजह से पालिका ने डीएसए को हिस्सा देने में हाथ खड़े कर दिए हैं। अब पालिका ने पिछली बोर्ड के कार्यकाल में हुए इस करार को फिर से बोर्ड बैठक में विचार के लिए प्रस्तुत करने का निर्णय लिया है।
सोमवार को पालिका बोर्ड की आपात बैठक के बाद पालिका ईओ रोहिताश शर्मा ने डीएसए के साथ हुए करार को लेकर अनौपचारिक बातचीत की। उन्होंने कहा कि जिला क्रीड़ा संघ संचालित स्टेडियम को लेकर पालिका द्वारा दी गई लीज की अवधि समाप्त हो चुकी है और अब तक इसका नवीनीकरण नहीं हुआ है। बताया कि पूर्व पालिकाध्यक्ष मुकेश जोशी व तत्कालीन डीएसए महासचिव गंगा प्रसाद साह के बीच खेल गतिविधियों व पार्किग से होने वाली आय को लेकर निजी संबंधों पर करार हुआ था, इसको बोर्ड की मंजूरी नहीं मिली थी।
डीएसए महासचिव की चेतावनी से बढ़ी तल्खी
ईओ ने जानकारी दी कि पिछले दिनों डीएसए महासचिव संजय बिष्ट उर्फ सोनू ने करार के अनुसार पार्किग ठेके समेत अन्य स्रोतों से से हुई आय में से डीएसए के हिस्से का भुगतान करने की मांग की। नहीं करने पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही है।
नहीं होने देंगे पालिका हितों की अनदेखी
इस दौरान सभासदों ने एक स्वर में कहा कि पालिका हितों की अनदेखी नहीं होने दी जाएगी। चेयरमैन श्याम नारायण ने भी साफ किया कि पूरे मामले पर बोर्ड चर्चा करेगा। तय हुआ कि मई पहले सप्ताह में मौजूदा बोर्ड का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। ऐसे में इसी माह अंत तक बोर्ड की एक और बैठक होगी, जिसमें इस प्रस्ताव पर चर्चा होगी। ईओ का कहना है कि सातवें वेतनमान लागू होने के बाद पालिका की माली हालत खराब हो गई है।
60 फीसद हिस्सा होता है पालिका का
पूर्व पालिकाध्यक्ष व डीएसए महासचिव के बीच करार में डीएसए से होने वाली आय से पालिका को 60 फीसद व डीएसए को 40 फीसद हिस्सा मिलने का प्रावधान था। डीएसए के चेयरमैन जिलाधिकारी होते हैं।
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नैनीताल में डीएसए अर्से से खेल गतिविधियों का संचालन करती रही है। नगरपालिका पर शहर की तमाम व्यवस्थाओं का जिम्मा होता है, ऐसे में खेल गतिविधियां बाधित ना हो, होनहार युवाओं का भविष्य बर्बाद ना हो, इसको मद्देनजर रखते हुए करार किया गया था। पालिकाध्यक्ष को प्राप्त संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए करार किया गया था। नगरपालिका को यदि करार की समीक्षा करनी थी तो इसके लिए पांच साल का इंतजार क्यों किया।
मुकेश जोशी, मंटू, पूर्व पालिकाध्यक्ष