Nainital News: डीडीए आफिस में काम करता मिला रिटायर कर्मचारी, कमिश्नर ने सचिव व संयुक्त सचिव से मांगा जवाब
आयुक्त रावत ने लापरवाही पर सचिव पंकज उपाध्याय व संयुक्त सचिव ऋचा सिंह से स्पष्ट करने को कहा कि इस प्रकार का कृत्य किस आधार पर कराया जा रहा है? इसमें प्राधिकरण के अधिकारियों की लापरवाही है। कहा कि इतने महत्पूर्ण विभाग में लापरवाही से गोपनीयता भंग हो रही है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : कुमाऊं आयुक्त व जिला विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष दीपक रावत के औचक निरीक्षण से डीडीए कार्यालय की असलियत उजागर हो गई। जहां एक दिन पहले उन्होंने प्राधिकरण संबंधी कार्रवाई की फाइलें बंद होने पर कड़ी नाराजगी जताई थी।
वहीं जब बुधवार को वह डीडीए सचिव व संयुक्त सचिव कार्यालय पहुंचे तो हैरान करने वाला नजारा दिखा। दफ्तर में सेवानिवृत्त कर्मचारी बिना किसी आदेश के फाइलों की नोटशीट तैयार कर रहा था। इस लापरवाही पर आयुक्त भड़क गए। उन्होंने सचिव व संयुक्त सचिव को नोटिस जारी किया है।
कुमाऊं आयुक्त को लगातार जिला विकास प्राधिकरण को लेकर शिकायतें मिल रही थीं। इसी के चलते वह दोपहर करीब 12 बजे एसडीएम कार्यालय के ऊपर बने डीडीए सचिव कार्यालय व संयुक्त सचिव कार्यालय पहुंच गए। आयुक्त ने कार्यालय में 2020 में सेवानिवृत्त कर्मचारी को फाइलों की नोट तैयार करते हुए देख लिया।
यह देख वह हैरान रह गए। डीडीए जैसे महत्वपूर्ण कार्यालय में इस तरह की लापरवाही पर वह बिफर उठे। उन्होंने कहा कि इससे कार्यालय की गोपनीयता भंग हो रही है। सेवानिवृत्त कर्मचारी से नोटशीट बनवाना उचित नहीं है। इनके कार्य की फोटोकापी अलग से रखी जाए।
आयुक्त ने सचिव पंकज उपाध्याय व संयुक्त सचिव ऋचा सिंह से स्पष्ट करने को कहा कि इस प्रकार का कृत्य किस आधार पर कराया जा रहा है? इसमें प्राधिकरण के अधिकारियों की लापरवाही प्रतीत हो रही हैं। इस संबंध में सचिव और संयुक्त सचिव स्पष्ट करें कि क्यों न उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रारम्भ कर दी जाए।
अभियंताओं को वेतन कैसे
आयुक्त ने यह भी जानकारी मांगी है कि प्राधिकरण में नियुक्त अभियंताओं को 10 से 20 हजार तक वेतन दिया जा रहा है। यह वेतन किस मद से दी जा रही है, यह स्पष्ट किया जाए।
सभी उपजिलाधिकारी भी करें निरीक्षण
डीडीए कार्यालय की स्थिति को देख आयुक्त ने कहा कि इस तरह के हालात अन्य विभागों में भी हो सकते हैं। इसके लिए उन्होंने सभी उपजिलाधिकारियों, तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों को अपने-अपने तहसीलों का निरीक्षण करने और निरीक्षण आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
फाइलें बंद होने पर उठने लगे सवाल
छह साल से कार्रवाई से संबंधित फाइलें बक्से में बंद होने को लेकर भी कई सवाल उठने लगे हैं। कहा जा रहा है कि आखिर जिम्मेदार अधिकारियों ने इतने समय तक फाइलों को क्यों दबाए रखा?
कंपाउंडिंग कराने से विभाग को राजस्व प्राप्त होता। साथ ही मानक के विरुद्ध काम करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी होती। अब आयुक्त के फाइलें खोलने के आदेश से अधिकारियों में खलबली मची है।