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त्रिवेंद्र राज के दायित्यधारी तीरथ राज में वापसी नहीं होने से बेचैन, कुमाऊं में पैदल हुए पुराने दिग्गज

कुमाऊं में तो महिला आयोग कर्मकार बोर्ड व अल्पसंख्यक आयोग को छोड़कर अन्य निगम परिषद के दायित्यधारी घरों में हैं। अब कोविड महामारी के प्रबंधन में उलझी सरकार के सामने त्रिवेंद्र राज में बने दायित्यधारियों की नाराजगी दूर करना बड़ी चुनौती बन रही है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sat, 05 Jun 2021 09:05 AM (IST)Updated: Sat, 05 Jun 2021 09:05 AM (IST)
त्रिवेंद्र राज के दायित्यधारी तीरथ राज में वापसी नहीं होने से बेचैन, कुमाऊं में पैदल हुए पुराने दिग्गज
इस संवेदनशील मसले पर राज्य भाजपा के पदाधिकारियों ने चुप्पी साध ली है।

नैनीताल, किशोर जोशी। राज्य की भाजपा सरकार के मुखिया तीरथ सिंह रावत की ओर से हटाए गए दायित्यधारी वापसी नहीं होने से बेचैन हैं। कुमाऊं में तो महिला आयोग, कर्मकार बोर्ड व अल्पसंख्यक आयोग को छोड़कर अन्य निगम , परिषद के दायित्यधारी घरों में हैं। अब कोविड महामारी के प्रबंधन में उलझी सरकार के सामने त्रिवेंद्र राज में बने दायित्यधारियों की नाराजगी दूर करना बड़ी चुनौती बन रही है। जबकि पार्टी संगठन 2022 के चुनाव में इसके नकारात्मक प्रभाव को देखते हुए वापसी को राजी नहीं है। इस संवेदनशील मसले पर राज्य भाजपा के पदाधिकारियों ने चुप्पी साध ली है।

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एक झटके में सौ से अधिक दायित्यधारी पदमुक्त हो गए।

आयोगों के संवैधानिक होने की वजह से आयोग अध्यक्ष व सदस्य पदों पर बैठाए गए नेतागण बच गए। कुमाऊं में कुमाऊं मंडल विकास निगम में चेयरमैन व आधा दर्जन डायरेक्टर के अलावा अनेक परिषद समेत विभागीय उपाध्यक्ष बनाये गए अधिकांश नेतागण अब दायित्व से हटाने के बाद घरों में कैद हैं। इन्हें ना तो पार्टी संगठन की ओर से कोई जिम्मेदारी मिली, ना ही वापसी के कोई संकेत दिखाई दे रहे हैं। ऐसे भी पार्टी नेता हैं जो दायित्व हटाने से नाराज होकर विधानसभा चुनाव की तैयारी में लग गए हैं। टिकट नहीं मिलने पर बागी होकर चुनाव में उतरने को बेताब हैं।

एंटी इनकम्बेंसी फेक्टर ने वापसी में अटकाया रोड़ा

नैनीताल। कोरोना महामारी के प्रबंधन में सरकार के खिलाफ नाराजगी ने दायित्यधारी की नियुक्तियों के मामले में सरकार व संगठन के कदम थाम दिए हैं। राज्य में दायित्यधारी बनाने को लेकर जनता में सत्ता में बैठे राजनीतिक दलों को नाराजगी का सामना करना पड़ा है। दिग्गज नेता एनडी तिवारी के कार्यकाल में लालबत्तियों की बंदरबांट के खिलाफ नाराजगी ने 2007 में कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया था। इसके बाद भाजपा, फिर कांग्रेस की सरकार में दायित्यधारी की नियुक्ति राजनीतिक मुद्दा बनती रही। राज्य में कोविड महामारी की वजह से राज्य की वित्तीय हालत खस्ता है।

सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की कमी, कोविड मरीजों की मौत के आंकड़ों के बाद जनता में सरकार की बिगड़ती छवि के बाद भाजपा के रणनीतिकारों के कान खड़े हो गए हैं और वह 2022 को लेकर गंभीर चिंतन शुरू हो गया है। पुख्ता सूत्रों के अनुसार वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए भाजपा संगठन सरकार में पार्टी नेताओं को दायित्व देने के मूड में नहीं हैं। इस मामले पर प्रदेश महामंत्री सुरेश भट्ट ने संपर्क करने पर कॉल रिसीव नहीं कि जबकि प्रदेश महामंत्री राजू भंडारी ने किसी तरह की टिप्पणी से साफ इंकार किया।

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