पिथौरागढ़ में दिखी दुर्लभ अमेरिकन तितली लूना मोथ, जैवविविधता के लिए अच्छा संकेत
इंडियन लूना मॉथ या मौन मॉथ के नाम से जाना जाता है। उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में पूर्व में यह तितली दिखाई देती थी लेकिन हाल के वर्षों में यह नहीं दिखाई दे रही थी। यह रात में ज्यादा सक्रिय रहती है। बेहद सुंदर दिखती है।
जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़: उत्तराखंड में तितलियों का अनूठा संसार बसा हुआ है। करीब 500 से अधिक प्रकार की तितलियां पाई जाती हैं, इनमें कुछ दुर्लभ है जो कभी कभार ही दिखाई देती है। ऐसी ही एक दुर्लभ प्रजाति की लूना मोथ मंगलवार को पिथौरागढ़ में दिखाई दी। तमाम लोगों ने वन विभाग पहुंचकर इस तितली को देखा।
वन क्षेत्राधिकारी दिनेश जोशी को वन कार्यालय परिसर के पास लूना मोथ दिखाई दी। उन्होंने तितली को पकड़ा और उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी दी।
क्या है लूना मोथ
लूना मोथ प्रजाति की तितली 800 से 3000 मीटर तक ऊंचाई के क्षेत्र में मिलती है। अमेरिका में सबसे पहले इसकी खोज हुई थी। उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में पूर्व में यह तितली दिखाई देती थी, लेकिन हाल के वर्षों में यह नहीं दिखाई दे रही थी। इंडियन लूना मॉथ या मौन मॉथ के नाम से जाना जाता है।
यह रात में ज्यादा सक्रिय रहती है। बेहद सुंदर दिखती है। लूना मॉथ जापान, बांग्लादेश, नेपाल में भी पाई जाती है। मंगलवार को यह पिथौरागढ़ में दिखाई दी।
जैव विविधता के लिए सुखद संकेत
बताया कि जैव विविधता और कीट संसार के लिए एक अच्छा संकेत है। लूना मोथ का शरीर सफेद रंग और पंख हरे रंग के होते हैं। इसके पंखों में चंद्रमा की तरह छोटे-छोटे धब्बे दिखाई देते हैं, इसकी के चलते इसे लूना मोथ नाम दिया गया है।
भारत में 1300 से अधिक प्रजाति की तितलियां पाई जाती हैं, इनमें सर्वाधिक 500 प्रकार की तितलियां उत्तराखंड में मिलती हैं। तितलियों के मामले में उत्तराखंड पूरे देश में काफी समृद्ध माना जाता है।
प्रभागीय वनाधिकारी कोको रोसे का कहना है कि लूना मौथ मिलने की सूचना वन क्षेत्राधिकारी ने दी है। यह जैव विविधता और कीट जगत के लिहाज से अच्छी खबर है। इससे साफ है कि जिले का पर्यावरण फिलहाल समृद्ध स्थिति में हैं।