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रामनगर के अस्पताल को निजी हाथों में दिए जाने का विरोध शुरू, लोगों ने बताया जनविरोधी फैसला

रामनगर के सरकारी अस्पताल को राज्य सरकार द्वारा निजी हाथों में देने के फैसले से हर कोई हैरान है। लोगों ने शुरू किया विरोध।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 21 Jul 2019 12:08 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jul 2019 12:08 PM (IST)
रामनगर के अस्पताल को निजी हाथों में दिए जाने का विरोध शुरू, लोगों ने बताया जनविरोधी फैसला
रामनगर के अस्पताल को निजी हाथों में दिए जाने का विरोध शुरू, लोगों ने बताया जनविरोधी फैसला

रामनगर, जेएनएन : रामनगर के सरकारी अस्पताल को राज्य सरकार द्वारा निजी हाथों में देने के फैसले से हर कोई हैरान है। स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त न कर पाने की नाकामी की वजह से राज्य सरकार जनता के विरोध के बाद भी अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए इसे निजी हाथों में सौंपने जा रही है। 

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सरकार के इस फैसले से यहां लंबे समय से कार्यरत अस्थायी कर्मियों के रोजगार पर यह कुठाराघात भी है। लोगों का कहना है कि सरकार का यह फैसला न केवल उसकी असफलता को जगजाहिर करता है। बल्कि रामनगर व पर्वतीय क्षेत्रों के नजदीकी निर्धन लोगों को निजी अस्पतालों की तर्ज पर महंगे इलाज की और धकेलने जैसा है। पीपीपी मोड से चलने से अस्पताल में उपचार निजी अस्पताल की तरह पहले से महंगा हो जाएगा। पीपीपी मोड में जाने से  मिलने वाले राजस्व से सरकार की झोली भरेगी। इस फैसले से क्षेत्रीय विधायक, सांसद, राज्य सभा सदस्य के अलावा विपक्ष से जुड़े लोगों व स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं।

पटरी से उतरी स्वास्थ्य सेवाएं

सयुंक्त अस्पताल में पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य सुविधाएं पटरी से उतर गई थी। ढाई साल से सर्जन नहीं होने से ऑपरेशन बंद थे। एक साल से अल्ट्रासाउंड बंद था। महिला डॉक्टर, बाल रोग विशेषज्ञ व इमरजेंसी मेडिकल ऑफि सर तथा कार्यालय कर्मियों की भी कमी थी। ब्लड बैंक व आइसीयू भी यहां नहीं है। मामूली रूप से घायल मरीज को भी रेफर कर दिया जाता है। 

गरीबों को नहीं मिलेगा सस्‍ता इलाज 

संजय नेगी, ब्लॉक प्रमुख रामनगर ने बताया कि गरीबों को सस्ते इलाज से दूर किया जा रहा है। सरकारी अस्पतालों को निजी अस्पतालों की तरह चलाकर बड़ी कंपनियों को सरकार फायदा पहुंचाने का काम कर रही है। सरकार स्वास्थ्य सेवा सुधारने के बजाय गरीबों के लिए महंगे इलाज की व्यवस्था कर रही हैं। 

जनविरोधी है सरकार का फैसला 

मनमोहन अग्रवाल, व्यापारी नेता ने बताया कि सरकार द्वारा संयुक्त चिकित्सालय को पीपीपी मोड में किए जाने का फैसला जनविरोधी है। यह फैसला सबको सस्ता सबको अच्छा उपचार उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी से पीछे हटने जैसा है। इस निर्णय से रामनगर ही नहीं पर्वतीय अंचल के गंभीर मरीजों को आर्थिक रूप से काफी परेशानी होगी।


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