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राजस्व पुलिस व्यवस्था खत्म करने का मामला हाईकोर्ट पहुंचा, मुख्य सचिव से व्यक्तिगत शपथपत्र पेश करने के निर्देश

हाई कोर्ट ने उत्तराखंड में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने मुख्य सचिव से तीन सप्ताह में अपना व्यक्तिगत शपथपत्र पेश करने को कहा है।

By JagranEdited By: Skand ShuklaPublished: Wed, 28 Sep 2022 03:10 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 03:10 PM (IST)
राजस्व पुलिस व्यवस्था खत्म करने का मामला हाईकोर्ट पहुंचा, मुख्य सचिव से व्यक्तिगत शपथपत्र पेश करने के निर्देश
राजस्व पुलिस व्यवस्था खत्म करने का मामला हाईकोर्ट पहुंचा, मुख्य सचिव से व्यक्तिगत शपथपत्र पेश करने के निर्देश

नैनीताल, जागरण संवाददाता : हाई कोर्ट ने उत्तराखंड में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने मुख्य सचिव से तीन सप्ताह में अपना व्यक्तिगत शपथपत्र पेश करने को कहा है।

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कोर्ट ने शपथपत्र में यह बताने को कहा है कि 2018 में उच्च न्यायलय द्वारा दिए गए निर्णय का क्या हुआ? जनहित याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायलय ने 13 जनवरी 2018 में सरकार को राजस्व पुलिस के संदर्भ में निम्न आदेश दिए थे। जो निम्न प्रकार हैं।

1. राज्य में चली आ रही 157 साल पुरानी राजस्व पुलिस व्यवस्था छः माह में समाप्त कर अपराधों की विवेचना का काम सिविल पुलिस को सौंप दिया जाए।

2. छः माह के भीतर राज्य में थानों की संख्या व सुविधाएं उपलब्ध कराएं। सिविल पुलिस की नियुक्ति के बाद राजस्व पुलिस प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं करेगी और अपराधों की जांच सिविल पुलिस द्वारा की जाएगी।

3. राज्य की जनसंख्या एक करोड़ से अधिक है और थानों की संख्या 156 है जो बहुत कम है, 64 हजार लोगों पर एक थाना। इसलिए थानों की संख्या को बढ़ाया जाए जिससे की अपराधों पर अंकुश लग सके।

4. एक सर्किल में दो थाने बनाये जाने को कहा था, और थाने का संचालन एक सब इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था राज्य में एक समान व्यवस्था हो

2004 में सुप्रीम कोर्ट ने नवीन चन्द्र बनाम राज्य सरकार केस में इस व्यवस्था को समाप्त करने की आवश्यकता समझी गयी थी। जिसमें कहा गया कि राजस्व पुलिस को सिविल पुलिस की भांति ट्रेनिंग नहीं दी जाती।

यही नहीं राजस्व पुलिस के पास आधुनिक साधन, कम्प्यूटर, डीएनए और रक्त परीक्षण, फोरेंसिक जांच, फिंगर प्रिंट जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती हैं।

सुविधाओं के अभाव में अपराध की समीक्षा करने में परेशानियां होती है। कोर्ट ने कहा था कि राज्य में एक समान कानून व्यवस्था हो। जो नागरिकों को मिलना चाहिए।

जनहित याचिका में कहा गया कि अगर सरकार ने इस आदेश का पालन किया होता तो अंकिता मर्डर केश की जांच में इतनी देरी नहीं होती, इसलिए राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त किया जाए। इस मामले में समाधान 256 कृष्णा विहार लाइन जाखन देहरादून ने जनहीत याचिका दायर की है।


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