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सुशीला तिवारी अस्पताल में 14 मार्च से रेडियोलाॅजिस्ट का पद खाली, नहीं हो रहा अल्ट्रासाउंड

Sushila Tiwari Hospital Haldwani कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल सुशीला तिवारी में उत्तर प्रदेश के लोग भी उपचार के लिए पहुंचते हैं। लेकिन बीते 145 दिनों से अल्ट्रासाउंड नहीं होने से मरीजों को निजी पैथाॅलाजी पर निर्भर होना पड़ रहा है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 08 Aug 2022 10:37 AM (IST)Updated: Mon, 08 Aug 2022 10:37 AM (IST)
सुशीला तिवारी अस्पताल में 14 मार्च से रेडियोलाॅजिस्ट का पद खाली, नहीं हो रहा अल्ट्रासाउंड
Sushila Tiwari Hospital Haldwani : रेडियो डायग्नोसिस विभाग में नहीं है रेडियालाजिस्ट, इंटरव्यू के लिए भी नहीं आ रहे।

गणेश जोशी, हल्द्वानी : उत्तराखंड के पहले राजकीय मेडिकल कालेज के अधीन संचालित डा. सुशीला तिवारी अस्पताल में बीते 145 दिनों से अल्ट्रासाउंड नहीं हो रहे हैं। अस्पताल में उत्तराखंड के साथ उत्तर प्रदेश से भी मरीज उपचार कराने के लिए पहुंचते हैं। बावजूद इसके 14 मार्च, 2022 से अब तक 650 बेड के कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल में एक रेडियोलॉजिस्ट तक की नियुक्ति नहीं हो सकी।

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मंत्री, सचिव व निदेशक सभी के संज्ञान में हैं मामला

ऐसा नहीं कि यह मामला जिम्मेदार अधिकारियों के संज्ञान में नहीं है। चिकित्सा शिक्षा के अपर सचिव व निदेशक डा. आशीष कुमार श्रीवास्तव पिछले महीने निरीक्षण कर चुके हैं। मंत्री डा. धन सिंह रावत भी मामले का जायजा ले चुके हैं। स्थानीय विधायकों को भी जानकारी है। इसके बावजूद कोई सुधलेवा नहीं है।

हर दिन निराश लौटते हैं 30 से 40 मरीज

एसटीएच में प्रतिदिन 1500 से अधिक मरीज ओपीडी में पहुंचते हैं। एक बार में 350 से अधिक मरीज भर्ती रहते हैं। प्रतिदिन 30 से 40 मरीजों की अल्ट्रासाउंड जांच हो जाया करती थी। इसके बावजूद मरीज निजी डायग्नोस्टिक सेंटरों में महंगी जांच कराने को मजबूर हैं। गंभीर मरीजों को जांच के लिए निजी सेंटरों में जान जोखिम में डालकर ले जाना पड़ता है।

दो बार साक्षात्कार, लेकिन नहीं मिला रेडियोलाजिस्ट

मई से अब तक मेडिकल कालेज की ओर से दो बार वाक इन इंटरव्यू का आयोजन किया गया। फिर भी रेडियोलाजिस्ट नहीं मिला। पहली बार इंटरव्यू में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर एक रेडियोलाजिस्ट ने आवेदन किया था। चयन भी हुआ, लेकिन ज्वाइन नहीं किया। दूसरी बार के इंटरव्यू में कोई भी रेडियोलाजिस्ट नहीं मिला।

वैकल्पिक व्यवस्था करने में भी फेल अधिकारी

शासन स्तर पर बैठे अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि वैकल्पिक व्यवस्था तक करने में असमर्थ हैं। जबकि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड में संचालित करने, बांडधारी डाक्टरों से ड्यूटी करवाने व प्रांतीय चिकित्सा सेवा से रेडियोलाजिस्ट की व्यवस्था किए जाने का सुझाव था।

इंटरव्यू के लिए नहीं आ रहे रेडियोलाजिस्ट

राजकीय मेडिकल कालेज, हल्द्वानी के प्राचार्य प्रो. अरुण जोशी ने बताया कि रेडियो डायग्नोसिस विभाग में रेडियोलाजिस्ट की नियुक्ति के लिए हरसंभव प्रयास जारी हैं, लेकिन इंटरव्यू में भी कोई नहीं आ रहा है। इसके लिए शासन को अवगत कराया गया है। अल्ट्रासाउंड नहीं होने से मरीजों को दिक्कत हो रही है।


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