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कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल में रेडियोलजिस्ट छुट्टी पर, 60 महिलाएं बिना अल्ट्रासाउंड के लौटी

कुमाऊं के सबसे बड़े शहर में अल्ट्रासाउंड की सुविधा तक नहीं है। मंगलवार को महिला अस्पताल के रेडियोलाजिस्ट तबीयत ठीक न होने चलते नहीं आ सके। इससे कई महीनों से अल्ट्रासाउंड का इंतजार कर रही 50 से अधिक गर्भवतियों को निराश लौटना पड़ा।

By Prashant MishraEdited By: Published: Tue, 05 Jul 2022 11:51 PM (IST)Updated: Tue, 05 Jul 2022 11:51 PM (IST)
कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल में रेडियोलजिस्ट छुट्टी पर, 60 महिलाएं बिना अल्ट्रासाउंड के लौटी
गर्भवती को इलाज न मिलने, रेफर करने और एंबुलेंस में ही प्रसव होने की समस्याएं आम हो गई हैं।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा नहीं सुधर पा रही है। भले ही अस्पताल में ही प्रसव कराने के कितने ही दावे किए जा रहे हैं, लेकिन पहाड़ से लेकर मैदान तक हर जगह बदहाली ही है। पहाड़ में गर्भवती को इलाज न मिलने, रेफर करने और एंबुलेंस में ही प्रसव होने की समस्याएं आम हो गई हैं।

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वहीं कुमाऊं के सबसे बड़े शहर और सबसे बड़े अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड की सुविधा तक नहीं है। मंगलवार को महिला अस्पताल के रेडियोलाजिस्ट तबीयत ठीक न होने चलते नहीं आ सके। इससे कई महीनों से अल्ट्रासाउंड का इंतजार कर रही 50 से अधिक गर्भवतियों को निराश लौटना पड़ा। इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि जिम्मेदार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कोई वैकल्पिक व्यवस्था तक नहीं कर सके।

महिला अस्पताल में एकमात्र रेडियोलाजिस्ट डा. कुमुद पंत को पहाड़ के अस्पताल से अटैच किया गया है। उन्हें गुरुवार को कोटाबाग अस्पताल जाना पड़ता है। उन पर काम का दबाव इतना है कि प्रतिदिन 50 से 60 मरीजों का अल्ट्रासाउंड करना पड़ता है। इसकी वजह से उन्हें दिक्कत होने लगी है।

दो सप्ताह पहले वह गर्दन व पीठ दर्द के इलाज के बाद लौटे थे, लेकिन मंगलवार को अचानक फिर दर्द बढ़ने लगा। वह छट्टी पर चले गए। जबकि अल्ट्रासाउंड के लिए करीब 60 महिलाएं इंतजार कर रही थी। कई महिलाएं दो महीने बाद की डेट मिली थी। कुछ महिलाओं ने व्यवस्था को कोसा। हल्ला भी मचाया, लेकिन वहां कोई सुनने वाला नहीं था। वह मजबूर और बेबस कुछ समय इधर-उधर पूछते रही। अपनी आशा कार्यकर्ता से भी पूछने लगी। जब पता चला कि अब अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाएगा। गरीब परिवार की महिला निराश हो गई हैं।

लोगों ने साझा किया दर्द

- महिला अस्पताल में बड़ी उम्मीद से आते हैं। कभी कोई दिक्कत तो कभी कुछ और। अल्ट्रासाउंड कराने के लिए सुबह से ही लाइन में खड़े हो गए थे, लेकिन पता चला कि अब डाक्टर ही नहीं आएंगे। वंदना सूर्यवंशी, बरेली रोड

- गर्भवती महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड जैसी मूलभूत सुविधा भी अस्पताल में न मिल पा रही है। यह दुर्भाग्य है। महिलाओं की बातें बयानों के बजाय हकीकत में करनी चाहिए। मोना कश्यप, उजाजा नगर

एसटीएच का अल्ट्रासाउंड कक्ष 14 मार्च से बंद

डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय का हाल बेहाल है। कुमाऊं के सबसे बड़े इस अस्पताल में 14 मार्च से एक भी रेडियोलाजिस्ट नहीं है। अल्ट्रासाउंड कक्ष में ताला लगा है। जबकि सबसे अधिक मरीज इसी अस्पताल में हैं। इसके बावजूद अभी तक सरकार किसी तरह की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कर सकी है।

सीएमएस महिला अस्पताल डा. ऊषा जंगपांगी का कहना है कि तबीयत खराब होने के चलते रेडियोलाजिस्ट का अचानक अवकाश लेना पड़ा। इसके चलते मरीजों को वापस जाना पड़ा। इमरजेंसी वाले मरीजों को बेस अस्पताल भेजा गया। रेडियोलाजिस्ट की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए सीएमओ को लिखा गया है। 


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