Move to Jagran APP

किताबों के बिना अधूरा जीवन का उद्देश्य

अमेरिकन उपन्यासकार अर्नेस्ट हेमिग्वे का कथन है, एक किताब जितना वफादार कोई दोस्त नहीं है।

By Edited By: Published: Sun, 22 Apr 2018 09:15 PM (IST)Updated: Tue, 24 Apr 2018 04:57 PM (IST)
किताबों के बिना अधूरा जीवन का उद्देश्य
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : अमेरिकन उपन्यासकार अर्नेस्ट हेमिग्वे का कथन है, एक किताब जितना वफादार कोई दोस्त नहीं है। चा‌र्ल्स विलियम एलियोट का कहना है, किताबें मित्रों में सबसे शांत और स्थिर हैं। वे सलाहकारों में सबसे सुलभ और बुद्धिमान हैं और शिक्षकों में सबसे धैर्यवान। यह कथन तकनीकी युग में भी उतना ही प्रासंगिक हैं। भले ही तकनीकी युग में किताबों की दुकानों में भीड़ कम हो और नई पीढ़ी में पढ़ने की संस्कृति कम दिखती हो, लेकिन सोशल मीडिया ने पढ़ने और लिखने का नया मंच दिया है। इसके बावजूद साहित्यकार हों या मनोवैज्ञानिक, इनक ा मानना है कि किताबों के बिना जीवन का असली उद्देश्य ही पूरा नहीं हो सकता है। 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस को लेकर पेश है शहर में किताबों के प्रति लोगों का नजरिया। --- शहर में बदहाल हैं पुस्तकालय शहर में जिला शाखा पुस्तकालय राजकीय बालिका इंटर कॉलेज परिसर में है। इस पुस्तकालय को दुरुस्त करने की कई बार मांग की गई, लेकिन जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों ने मुंह मोड़ लिया। नगर निगम के तीन पुस्तकालय थे, जो बदहाल पड़े हैं। रोडवेज के निकट गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय का भी हाल बुरा है। काठगोदाम का पुस्तकालय भी गायब हो गया है। --- पुस्तकों के प्रति ललक अब भी जिंदा भारत बुक डिपो के संचालक अरुण पांडे कहते हैं कि युवा पीढ़ी में किताबें खरीदने का क्रेज कम हुआ है, लेकिन अभी तमाम ऐसे लोग हैं जो पुस्तकें खोज-खोज कर पढ़ते हैं। नए-नए लेखकों की पुस्तकों को खोजते हैं। ऑर्डर में मंगवाते हैं। --- क से कविता करती है पढ़ने को प्रेरित शहर में कुछ जागरूक लोगों ने क से कविता नाम से अभियान चलाया है। एक साल से चल रहे अभियान से जुड़े भाष्कर उप्रेती कहते हैं, शहर में पढ़ने की संस्कृति बढ़े। इसलिए यह अभियान शुरू किया गया है। इसमें खुद की रचनाओं के बजाय दूसरे कवियों की रचनाओं को सुनाना होता है। इसके बाद उस रचना पर विचार-विमर्श होता है। --- शहर में 23 जून से राष्ट्रीय पुस्तक मेला शहर में पहली बार नेशनल बुक ट्रस्ट की ओर से राष्ट्रीय पुस्तक मेले का आयोजन होने जा रहा है। यह आयोजन 23 जून से एक जुलाई तक रामलीला मैदान हल्द्वानी में होगा। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां चल रही हैं। पत्रकार दिनेश मानसेरा का कहना है कि राष्ट्रीय पुस्तक मेले का आयोजन कुमाऊं ही नहीं, बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए भी गर्व की बात है। -------- किताबों के अलावा ज्ञान का विकल्प नहीं साहित्यकार व शिक्षक दिनेश कर्नाटक कहते हैं, श्रेष्ठ किताबों के अलावा ज्ञान का कोई विकल्प नहीं है। यही किताबें हमें जीवन जीने का तरीका सिखाती हैं। बिना दबाव के लिखी गई किताबों में समाहित संचित ज्ञान ही जीवन में सकारात्मक संदेश देती हैं। समझ बढ़ाती है। --- मार्गदर्शक होती हैं किताबें आइडीए के महासचिव डॉ. गौरव जोशी कहते हैं, किताबों के जरिये हम सीधे लेखक से संवाद करते हैं। हमारी हर समस्या का समाधान भी बताती हैं। आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। जीवन को सही दिशा की ओर से ले जाने के लिए हमें सुबह की शुरुआत किताब पढ़ने से करनी चाहिए। --- बच्चों को पढ़ाएं नैतिक शिक्षा की किताबें मनोवैज्ञानिक डॉ. युवराज पंत कहते हैं, पहले हम नैतिक शिक्षा की पुस्तकें पढ़ते थे। बचपन से ही ऐसी किताबों हमें सकारात्मक जीवन जीने का नजरिया देती थी। स्वस्थ मानसिकता के साथ सामाजिकता का निर्वहन करना सिखाती थी। सभी अभिभावकों से अनुरोध है कि बच्चों को नैतिक शिक्षा की किताबें अवश्य पढ़ाएं।---

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.