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सहयोग से समाधान : प्रभावी बदलाव से चल पड़ा आकांक्षा आटोमोबाइल का व्यापार

आकांक्षा आटोमोबाइल के पुनीत अग्रवाल कहते हैं कि हमने शोरूम खोलने के पहले दिन से ही इस बात को कर्मसूत्र माना कि ग्राहक का उन्नयन ही हमारी प्रगति का मापदंड है। लाकडाउन में ग्राहक केंद्रित कामों ने कारोबार-कस्टमर के बीच के भरोसे को और मजबूत बनाया।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 12:30 AM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 12:30 AM (IST)
सहयोग से समाधान : प्रभावी बदलाव से चल पड़ा आकांक्षा आटोमोबाइल का व्यापार
आकांक्षा आटोमोबाइल के पुनीत अग्रवाल कहते हैं कि ग्राहक का उन्नयन ही हमारी प्रगति का मापदंड है।

हल्द्वानी, जेएनएन : कारोबार में सफलता के लिए निरंतर सकारात्मक बदलाव, ग्राहकों के हितों और विश्वास को प्राथमिकता देना सबसे अहम होता है। आकांक्षा आटोमोबाइल के पुनीत अग्रवाल कहते हैं कि हमने शोरूम खोलने के पहले दिन से ही इस बात को कर्मसूत्र माना कि ग्राहक का उन्नयन ही हमारी प्रगति का मापदंड है। लाकडाउन में ग्राहक केंद्रित कामों ने कारोबार-कस्टमर के बीच के भरोसे को और मजबूत बनाया। जिससे संकट में भी पुनीत अग्रवाल की गाड़ी चलती रही। पुनीत के मुताबिक लाकडाउन के दौर में दूसरे कारोबारों की तरह ही उनके लिए स्थितियां आसान नहीं थीं। कारोबार पूर्णतया बंद था पर इस दौर में चीजों को दीर्घकालिक स्तर पर सोचा गया और ग्राहकों के लाभ को महत्ता दी। इसका असर लाकडाउन के बाद कारोबार में प्रगति के तौर पर दिखा।

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18 साल का सार्थक और सफल सफर

पुनीत अग्रवाल बताते हैं कि 2003 में मुरादाबाद में मारुति सुजुकी का पहला शोरूम शुरू किया। बेहतर सुविधाएं, पूर्ण संतुष्टि, सहयोग की भावना से काम साल दर साल आगे बढ़ता गया। आज रुद्रपुर, काशीपुर, खटीमा, सितारगंज, टनकपुर, चम्पावत, जसपुर, गदरपुर समेत उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश के दस से अधिक शहरों में मारुति सुजुकी, होंडा, अशोक लीलैंड के शोरूम हैं। इसी साल मार्च में मुरादाबाद में अशोका लीलैंड का शोरूम शुरू किया। पुनीत बताते हैं कि ग्राहकों की जरूरत, सुविधा को देखते हुए कोरोना काल में भी शोरूम की शुरुआत की। आइए पुनीत अग्रवाल की जुबानी जानते हैं कि कैसे लाकडाउन के संकट के बीच भी उनके कारोबार का पहिया नहीं थमा।

समाधान 1: ग्राहकों के लिए स्कीम

कोरोना लाकडाउन में गाड़ी की खरीददारी थम सी गई थी। ग्राहकों ने प्रशासनिक सख्तियों और कोरोना के भय के कारण लोग सर्विसिंग कराने भी नहीं आ रहे थे। ऐसे में हमने अपनी योजनाओं को ग्राहकों को ध्यान में रखकर बनाया। लाकडाउन के दौरान जिन ग्राहकों की नियत सर्विस नहीं हो पाई थी उनकी समयावधि को आगे बढ़ाया। जिनकी वारंटी खत्म हो रही थी, उसमें बढ़ोतरी की गई, जिससे ग्राहकों को फायदा हुआ। उनमें संतुष्टि और विश्वास का भाव भी बढ़ा, जो लाकडाउन के बाद हमारे कारोबार के लिए फायदेमंद साबित हुआ।

समाधान 2: सुरक्षा के साथ सुविधा

लाकडाउन की वजह से ग्राहक आफिस विजिट नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में हमें सुरक्षा का विश्वास देना था। हमने चार पहिया गाडिय़ों को ग्राहकों के घर से लाकर सर्विसिंग के बाद वापस भेजने की सुविधा शुरू की। हम घर से गाड़ी की बुकिंग की सुविधा दे रहे हैं। मोबाइल या वेबसाइट के माध्यम से ग्राहक घर पर ही गाड़ी की डिलीवरी ले सकते हैं। सर्विसिंग के लिए आने वाले वाहनों को सैनिटाइज किया जा रहा है। शोरूम और सर्विस सेंटर पर मास्क अनिवार्य किया गया है।

समाधान 3: डिजिटल माध्यम से उपयोग

लाकडाउन के दौरान गाडिय़ों की बिक्री और अन्य काम बंद हो गए हैं। ऐसे में हमने इंश्योरेंस प्रक्रिया को और अधिक मजबूत किया। हमने अपनी इंश्योरेंस यूनिट को घर से काम करने को कहा। वे ग्राहकों को डिजिटल माध्यम से इंश्योरेंस कर ऑनलाइन ही भेज देते थे। इसके अलावा हमने कर्मचारियों से डिजिटल माध्यम से जुडऩे को कहा।

समाधान 4: सोशल मीडिया का किया इस्तेमाल

पुनीत कहते हैं कि पहले जहां हमारे कर्मचारी फील्ड पर जाया करते थे, कैंप लगाते थे। ऐसे में लाकडाउन के दौरान हमने बाहर की ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगाया। इसलिए हमने वाट्सएप और फेसबुक मार्केटिंग का जमकर प्रयोग किया। फेसबुक और वेबसाइट पर हमने अपनी स्कीम के बारे में जानकारी दी। वाट्सएप के माध्यम से ग्राहकों को पीडीएफ के माध्यम से सारी जानकारी भेज दी।

समाधान 5: पेमेंट के लिए किया डिजिटल का इस्तेमाल

लाकडाउन के बाद डिजिटल पेमेंट बढ़ा है। क्यूआर कोड से लेकर अकाउंट तक के फीचर अपनाए हैं। यही नहीं, शारीरिक दूरी का पालन करने के लिए भी हम डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दे रहे हैं, चाहे वह इंश्योरेंस पालिसी के लिए हो, सर्विसिंग या फिर गाड़ी खरीदने के लिए ही क्यों न हो।

सामाजिक कार्यों में रहे आगे

कोरोना काल में जरूरतमंदों की मदद के लिए पुनीत अग्रवाल आगे आए। मुख्यमंत्री राहत कोष में पांच लाख रुपये की आर्थिक सहयोग दिया। इसके अलावा प्रवासियों को भोजन पैकेट बांटे गए। दिल्ली में काम करने वाली आओ साथ चले संस्था गरीब मरीजों को मदद करती है। संस्था दिल्ली में हेल्प डेस्क भी चलाती है।


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