कार्बेट टाइगर रिजर्व में चीतल के शिकार को लेकर उत्तराखंड-यूपी के वनाधिकारियों में तकरार
कार्बेट टाइगर रिजर्व में चीतल के शिकार को लेकर शिकारियों के बयान से उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के वनाधिकारियों के बीच ठन गई है।
रामनगर, जेएनएन : चीतल के शिकार को लेकर शिकारियों के बयान से उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के वनाधिकारियों के बीच ठन गई है। दोनों विभाग एक दूसरे के क्षेत्र में शिकारियों के चीतल का शिकार करने की बात कह रहे हैं। उप्र के वनाधिकारियों ने तो सीटीआर के दो वन कर्मियों पर शिकार में मदद करने की बात कहकर हड़कंप मचा दिया। जांच में पाया कि बीट वाचरों को रंजिशन फंसाने के लिए आरोपितों ने झूठे बयान दिए हैं।
दस किलो मांस पकड़े जाने से उठा मामला
दरअसल उप्र के जिला बिजनौर नजीबाबाद वन प्रभाग के साहूवाला रेंज मेें पुलिस ने 13 मई को थाना बड़ापुर भोगपुर निवासी पोखर सिंह, पम्मा व एक अन्य को चीतल के दस किलो मांस के साथ पकड़ा था। सूचना पर पहुंचे साहूवाला के रेंजर ने इस मामले में आरोपितों के खिलाफ थाना बड़ापुर में मुकदमा कराया। पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि उनके द्वारा सीटीआर के जंगल में घुसपैठ कर कालागढ़ सोनानदी रेंज के मोरघट्टी क्षेत्र में चीतल का शिकार किया गया था। चीतल के शिकार मेें सीटीआर में मोरघट्टी क्षेत्र में कार्यरत दो बीट वाचरों ने मदद की। इसके बाद साहूवाला के रेंजर द्वारा सीटीआर के अधिकारियों को सूचना दी गई तो हड़कंप मच गया।
मौके पर जांच को पहुंचे अधिकारी
सीटीआर के निदेशक राहुल, एसडीओ आरके तिवारी, एसडीओ आरएल नाग, कालागढ़ की डीएफओ कल्याणी घटना स्थल पर पहुंची। उन्होंने शिकार स्थल पर जाकर जांच की। इसके बाद वनाधिकारियों ने सीटीआर के बीट वाचरों पर लगाए गए आरोपों की जांच उप्र के भोगपुर मेें जाकर की। एसडीओ तिवारी ने बताया कि पकड़े गए आरोपितों की सीटीआर में कार्यरत बीट वाचरों से पुरानी रंजिश है। बीट वाचर व आरोपित अगल बगल के गांव के हैं। बीट वाचर काफी पुराने हैं। उन्हें फंसाने के लिए आरोपितों ने बीट वाचरों का नाम लिया था। सीटीआर में चीतल का कोई शिकार नहीं हुआ।
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