मिट्टी की सेहत के साथ तराई के किसानों की सुधरी आर्थिकी, 10 फीसद उत्पादन बढ़ा
बेतहाशा रासायनिक खादों के प्रयाेग ने मिट्टी की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों को प्रभावित किया। ऐसे में मिट्टी की सेहत जानने के लिए तराई में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की गई।
रुद्रपुर, जेएनएन : बेतहाशा रासायनिक खादों के प्रयाेग ने मिट्टी की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों को प्रभावित किया। ऐसे में मिट्टी की सेहत जानने के लिए तराई में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की गई। इसके तहत मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए जैविक खादों का प्रयोग शुरू हुआ। इसके शानदा परिणाम सामने आए। मिट्टी की सेहत सुधरी तो उत्पादन भी करीब 10 फीसद बढ़ गया। इसका असर जहां किसनों की आर्थिकी पर पड़ा वहीं देश के खाद्यान्न में भी बढ़ोत्तरी हुई। जिले में योजना के तहत 97 मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाए गए हैं। जिले में एक लाख तीन हजार किसान हैं। मृदा की निर्धारित मानक से कम पोषक तत्व पाए जाने पर मृदा की सेहत खराब मानी जाती है।
तराई के अत्याधुनिक तरीके से करते हैं खेती
तराई के प्रगतिशील किसान अत्याधुनिक तरीक से खेती करते हैं। पंत विवि होने की वजह से किसानों को समय-समय पर उन्नत बीज, कृषि उपकरण के साथ मौसम व खेती करने के तरीकों की जानकारी मिलती रहती है। ऊधम सिंह नगर जिले में गन्ना, गेहूं व धान की भारी पैमाने पर खेती होती है। गेहूं की उत्पादकता 44 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और धान की उत्पादकता 54 से 56 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। एक साल में एक ही खेत में तीन से चार फसल लेते हैं। यहां तो बेमौसमी धान की भी खेती होती है। बार बार एक ही फसल लेने और अधिक उत्पादन लेने के लिए अंधाधुंध खाद का प्रयोग करने से मृदा की उर्वरा शक्ति कम होने लगती है। नाइट्रोजन, बोरान, जिंक, फास्फोरस आदि सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।
मिट्टी की जांच कर विशेषज्ञ देते हैं किसानों को सलाह
उत्पादन बढ़ाने व मृदा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष, 2015-16 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरु की। इसके लिए हर साल मृदा परीक्षण की जांच के लिए नमूने लेने का लक्ष्य दिया जाता है। हालांकि इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से जिले को नमूनों की जांच के लिए लक्ष्य नहीं दिया गया है। हालांकि जिला प्रशासन स्तर पर लक्ष्य तय कर जांच की जाएगी। नमूनों की जांच होने से मृदा की कमियाें का पता चल जाता है और समय रहते किसानों को कमियां दूर करने की सलाह दी जाती है। कृषि विज्ञान के मुताबिक मृदा की जांच से ही धान व गेहूं उत्पादन में करीब 10 फीसद की पैदावार बढ़ी है। जिले में एक लाख चार हजार हेक्टेयर में धान व 98 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में गेहूं की खेती होती है।
जांच में मृदा की सेहत मिली थी खराब
जिले में हेल्ड कार्ड योजना में हर ब्लाॅक से एक-एक गांव का चयन किया जाता है। उन गांवों को चयन किया जाता है,जिन गांवों की ब्लॉक स्तर पर मृदा की सेहत सबसे ज्यादा खराब होती है। यूएस नगर में काशीपुर, रुद्रपुर, जसपुर, बाजपुर, गदरपुर, सितारगंज व खटीमा ब्लॉक है। योजना में वर्ष, 2019-20 में 2224 नूमनों की जांच क्षेत्रीय भूमि परीक्षण प्रयोगशाला रुद्रपुर में की गई तो किसी खेत में नाइट्रोजन तो किसी में बोराना, जिंक, मैगनीज आदि सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी पाई गई थी।
उर्वरा शक्ति कमजोर होने के कारण
- अधिक उत्पादन लेने के चक्कर में फसल में अधिक से अधिक खाद का प्रयोग करना
- एक ही खेत में एक ही फसल बार बार लेना
- हरी खाद या कंपोस्ट खाद का प्रयोग न करना
- बारिश का पानी खेत से बाहर निकलने पर मृदा से सूक्ष्म पोषक तत्वों का कम होना
समाधान
- फसल चक्र होना चाहिए
- एक साल के लिए खेत को खाली छोड़ देना चाहिए
- ढैंचा जैसी हरी खाद या चारे की खेती करें
- अधिक से अधिक कंपोस्ट खाद का प्रयोग हों
- दायरे में उर्वरक का प्रयोग न करें
- समय समय पर लैब में मृदा की जांच करानी चाहिए
- दलहन की खेती की जानी चाहिए
ये हैं मानक
- पोषक तत्व फीसद
- नाइट्रोजन 0.75
- बोरोन 0.5
- जिंक 0.6
- आयरन 4.5
- मैगनीज 2
- कॉपर 0.2
नोट: मृदा में सल्फेट 10 पीपीएम यानि पार्ट पर मिलियन होना चाहिए।
पांच साल बाद छह हजार किसान कार्ड से वंचित
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरु होने के बाद भी जिले में छह हजार किसान कार्ड बनाने से वंचित हैं। ऐसे में इन किसानों के खेतों की मृदा की जांच नहीं होती होगी। इसका असर न केवल उत्पादन पर पड़ेेगा, बल्कि मिट्टी ऊसर हो सकती है। यह तो कृषि विभाग की लापरवाही उजागर हो रही है। मुख्य कृषि अधिकारी, यूएस नगर अभय सक्सेना ने बताया कि जिले में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना से मृदा की सेहत में सुधार हुआ है। इसका धान व गेहूं के उत्पादन में आठ से 10 फीसद उत्पादन में वृद्धि हुई है। गेहूं की उत्पादकता 44 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और धान की उत्पादकता 54 से 56 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, कृषि तकनीक प्रबंधन परियोजना के तहत भी मृदा के नमूनों की जांच कराई जाती है। जांच रिपोर्ट के आधार पर किसानों को कमियां दूर करने की सलाह दी जाती है। इसके लिए गांवों में प्रदर्शन लगाकर जानकारी दी जाती है।