आइबी के आतंकी हमले को लेकर अलर्ट के बाद भी आइआइएम काशीपुर पहुंचे थे प्रणब दा
वर्ष 2013 में देश के तत्कालिक राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को 17 मार्च को आआइएम काशीपुर के दीक्षा समारोह में शिरकत करना था।
काशीपुर, जेएनएन : वर्ष 2013 में देश के तत्कालिक राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को 17 मार्च को आआइएम काशीपुर के दीक्षा समारोह में शिरकत करना था। लेकिन ठीक एक सप्ताह पूर्व आईबी की रिपोर्ट में आतंकी हमले की आशंका जताई गयी थी। जिसके बाद आयोजक भी राष्ट्रपति की यात्रा को लेकर लेकर संशय में पड़ गए। 16 मार्च को रिपोर्ट की परवाह न करते हुए खुद राष्ट्रपति ने आइआइएम आने को हामी भरी। जिसके बाद आयोजन भव्य तरीके से हुअा था।
आइआइएम काशीपुर के पहले सत्र में कार्यक्रम के 37 विद्यार्थियों के प्रथम बैच ने अपना प्रबंधन डिग्री पाठ्यक्रम पूरा किया था। दीक्षा समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यक्रम तय था लेकिन एक खुफिया रिपोर्ट में कहा गया था कि 2002 में काशीपुर के समीप बाजपुर से लश्कर ए तय्यबा के छह आतंकी गिरफ्तार किये गए थे। जबकि 2004 में इसी मंडल के चोरगलिया क्षेत्र में माओवादियों के कैम्प का पता चला था जहां से 18 माओवादियों को पकड़ा भी गया था। इसमें मानव बम का खतरा भी जताया गया था। कार्यक्रम से ठीक पहले संशय के बीच तत्कालिक आइआइएम काशीपुर के निदेशक गौतम सिन्हा को जानकारी मिली की राष्ट्रपति ने आने की हामी भर दी है।
प्रणाम के साथ शुरू किया था संबोधन ....
आइआइएम के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति सवा 12 बजे पहुंचे थे। पूरा शहर छावनी में तब्दील था। खासकर बार्डर एरिया पूरी तरह से सील कर दिया गया था। समारोह स्थल पहुंचने पर आईआईएम बोर्ड ऑफ गवर्नर के चेयरमैन ध्रुव साहनी ने राष्ट्रपति का बुके देकर स्वागत किया था। इस दौरान तत्कालीन राज्यपाल अजीज कुरैशी, तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, तत्कालीन मानव संसाधन राज्य मंत्री जतिन प्रसाद, आईआईएम के निदेशक डा.गौतम सिन्हा सहित गवर्निंग बोर्ड के सदस्य राष्ट्रपति का स्वागत करने के लिए मौजूद थे। राष्ट्रपति ने अपना संबोधन प्रणाम बोलेते हुए शुरू केिया था।
राष्ट्रपति ने कहा कैंब्रिज विवि की याद हो गई ताजा
राष्ट्रपति आइआइएम काशीपुर में छात्रों के अनुशासन और अपने स्वागत समारोह से अभिभूत थे। उन्होंने कहा कि आज कैंब्रिज विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक डिग्री लेने की यादें ताजा हो गई हैं। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में बताया था कि देश में तकनीक पर आधारित शिक्षा की जरूरत है। देश के समक्ष चुनौतियों का सामना करना के लिए जमीन से जुड़े नेताओं की जरूरत है। जिनकी प्राथमिकता लोगों की कठिनाई समझकर उनका समाधान करना है। उन्होंने कहा कि यदि सभी मिलकर काम करें तो हम गरीबी, कुपोषण, भूख और बीमारी जैसी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
युवा भारत की सोच को आगे बढ़ाने पर दिया था जोर
पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी दीक्षा समारोह में अपने संबोधन में कहा था कि आने वाले सालों में भारत सबसे युवा देश बन जाएगा। वर्ष 2020 में चीन और अमेरिका में औसत आयु 37 वर्ष होगी जबकि भारत में औसत आयु 29 वर्ष होगी। वहीं दक्षिण यूरोप में 45 और जापान में 48 वर्ष होगी। राष्ट्रपति ने कहा कि इससे साफ है कि भारत युवा शक्ति बनने जा रहा है।
पेशेवर जगत में संभावनाए समाप्त नहीं होती ...
काशीपुर के आइआइएम के डीन केएन बधानी को आज भी राष्ट्रपति का संबोधन याद है... जब उन्होंने कहा था कि पेशेवर जगत में कदम रख रहे हैं, आपको यह याद रखना होगा कि सीखने की संभावना कभी समाप्त नहीं होती। शिक्षा एक आजीवन प्रक्रिया है। मुझे उम्मीद है कि यहां प्राप्त शिक्षा से आपको जीविकोपार्जन के प्रत्येक स्तर पर ज्ञान अर्जित करने के लिए प्रेरणा मिलेगी।
विवि की स्थिति सुधारने पर जोर देने की कही थी बात
दीक्षा समारोह में भारतीय शिक्षा व्यवस्था की चुनौतियों पर भी बात की थी। उन्होंने कहा था कि विश्वविद्यालयों की अंतरराष्ट्रीय वरीयता सूची के अनुसार, कोई भी भारतीय विश्वविद्यालय विश्व के सर्वोच्च 200 विश्वविद्यालयों में शामिल नहीं है। हमारा लक्ष्य भारतीय विश्वविद्यालयों को सर्वोच्च समूह में शामिल करने का होना चाहिए। नवान्वेषण भी विकास का एक महत्त्वपूर्ण उत्प्रेरक है। दुर्भाग्यवश, हम इस मामले में अपने प्रमुख प्रतिस्पर्द्धियों से पिछड़े हुए हैं। भारत में 2011 में पेटेंट के लिए आवेदनों की संख्या करीब 42000 थी जो चीन और अमेरिका दोनों के पांच लाख से अधिक आवेदनों से बहुत ही कम है।