शासन ने दबा दी फाइल नहीं तो हर माह 5 लाख रुपये की होती बचत
राजकीय मेडिकल कॉलेज में सोलर सिस्टम लगाने के लिए छह महीने पहले भेजे गए प्रस्ताव को शासन ने अभी तक अनुमति नहीं दी है। जबकि, इससे पांच लाख रुपये से अधिक की बचत हो जाती।
गणेश जोशी, हल्द्वानी। सरकार बिजली बचाने का नारा देती है, लेकिन सरकारी सिस्टम ही इसकी धज्जियां उड़ा रहा है। भारत सरकार की ओर से सोलर सिस्टम लगाने की बेहतरीन योजना है, मगर राजकीय मेडिकल कॉलेज में सोलर सिस्टम लगाने के लिए छह महीने पहले भेजे गए प्रस्ताव को शासन ने अभी तक अनुमति नहीं दी है। जबकि, इस सिस्टम से बिजली के साथ ही कॉलेज को प्रतिमाह बिजली बिल में पांच लाख रुपये से अधिक की बचत हो जाती।
ऐसे बचता मेडिकल कॉलेज का पैसा : मेडिकल कॉलेज परिसर के अलावा डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय व स्वामी राम कैंसर संस्थान को इस सिस्टम से बिजली आपूर्ति की जाती। अभी प्रतिमाह करीब 22 लाख रुपये का बिजली बिल भुगतान करना होता है। इसके लिए 4.50 रुपये प्रति यूनिट बिल निर्धारित है। जबकि, सोलर सिस्टम लगने से जहां बिजली की बचत होती, वहीं बिल का भुगतान भी 2.38 रुपये प्रति यूनिट की दर से करना होता। इससे प्रतिमाह पांच लाख रुपये से अधिक की बचत की जा सकती।
भारत सरकार ही वहन करेगी खर्च : राज्य में सरकारी अस्पतालों में सोलर सिस्टम लगाने के लिए तीन कंपनियां अधिकृत की गई हैं। इसे लगाने का पूरा खर्चा भी भारत सरकार को ही वहन करना है। शासन की अनुमति के बाद ही मेडिकल कॉलेज संबंधित फर्मों से करार करेगी, लेकिन कब अनुमति मिलेगी, इसका जवाब अधिकारियों के पास नहीं है।
वर्तमान में हैं पांच कनेक्शन : मेडिकल कॉलेज के उप प्रबंधक रवि पाल ने बताया कि संस्थान में पांच कनेक्शन हैं। चार कनेक्शन 11 केवी और एक 33 केवी का है। इससे बिजली की आपूर्ति होती है।राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. चंद्र प्रकाश भैंसोड़ा ने बतया कि सोलर सिस्टम लगाया जाना है। इससे बिजली की बचत होगी। साथ ही कॉलेज का खर्चा भी बचेगा। इसके लिए करीब छह महीने पहले प्रस्ताव भेजा गया था। जैसे ही अनुमति मिलेगी, प्रक्रिया शुरू करा दी जाएगी।
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