बाजार में मिट्टी लगाकर कोल्ड स्टोर के आलू को बनाया जा रहा पहाड़ी NAINITAL NEWS
कोल्ड स्टोरेज में रखे गए आलू को फुटकर बाजार में मिट्टी लगाकर पहाड़ी आलू के नाम से बेचा जा रहा है। हल्द्वानी के बाजार में इन दिनों पहाड़ी आलू का सीजन चल रहा है।
हल्द्वानी, जेएनएन : कोल्ड स्टोरेज में रखे गए आलू को फुटकर बाजार में मिट्टी लगाकर पहाड़ी आलू के नाम से बेचा जा रहा है। हल्द्वानी के बाजार में इन दिनों पहाड़ी आलू का सीजन चल रहा है। स्वाद में स्टोर के आलू से बेहतर होने के कारण इसकी डिमांड भी है। साथ कोल्ड स्टोरेज के आलू और पहाड़ी आलू की कीमत में भी 20 से तीस रुपये का अंतर है। मुनाफा कमाने के लिए आलू का काला कारोबार करने वाले धंधेबाज ग्राहकों से धोखा कर रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों को इसकी खबर तक नहीं है। मंडी के व्यापारियों ने इस गोरखधंधे के खिलाफ आवाज उठा दी है और प्रशासन से जांच की मांग भी की है।
ऐसे बनाया जा रहा पहाड़ी आलू
कोल्ड स्टोरेज के आलू को पहाड़ी आलू का रंग देने के लिए केमिकल के साथ ब्लैक ऑक्साइड, ब्लैक सीमेंट और गेरुआ मिट्टी का इस्तेमाल किया जा रहा है। कोल्ड स्टोरेज में आलू अंकुरित न हो, इसके लिए दवाइयों व रसायन का इस्तेमाल होता है। स्टोरेज से मंडी पहुंचने के बाद फुटकर व्यापारी ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए आलू पर और भी ज्यादा रसायन का प्रयोग करते हैं। जिससे आलू में केमिकल प्रतिशत काफी बढ़ जाता है।
कहां से आर रहा कोल्ड स्टोर का आलू
हल्द्वानी मंडी में उत्तर प्रदेश व दिल्ली की आजादपुर मंडी से कोल्ड स्टोर के आलू की आवक होती है। इसमें यूपी के संभल, बदायूं और आगरा से इन दिनों प्रतिदिन तकरीबन चार ट्रक ढाई हजार कट्टे आलू लेकर पहुंच रहे हैं। मानकों के अनुरूप कोल्ड स्टोर का आलू सेहत को नुकसान नहींं पहुंचाता, लेकिन स्टोर के बाद इसे पहाड़ी आलू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे ब्लैक ऑक्साइड व सीमेंट से सेहत को नुकसान पहुंच सकता है।
पहाड़ से रोजाना दस हजार कट्टे आवक
नैनीताल जिले के रामगढ़, धारी व ओखलकांडा ब्लॉक आलू उत्पादन के लिए मशहूर हैं। यहां के किसान हल्द्वानी मंडी के अलावा आसपास की मंडियों में भी अपना आलू बेचते हैं। इन दिनों पहाड़ में आलू तोड़ाई का सीजन चल रहा है और रोजाना पहाड़ से आठ से दस हजार कट्टे हल्द्वानी मंडी पहुंच रहे हैं।
पहाड़ी आलू की डिमांड का उठा रहे फायदा
पहाड़ी आलू का थोक मूल्य 17 से 19 रुपये प्रतिकिलो है, जो फुटकर बाजार में 25 से 30 रुपये किलो तक बिकता है। जबकि कोल्ड स्टोर के आलू के थोक भाव 7-8 प्रतिकिलो हैं और खुले बाजार में इसकी कीमत 15 से 20 रुपये प्रतिकिलो है। पहाड़ी आलू की डिमांड और मूल्य अधिक होने के कारण धंधेबाज लोगों को मिट्टी लगा हुआ आलू पहाड़ी बताकर महंगे दामों में बेच रहे हैं।
पहाड़ के किसानों को हो रहा नुकसान
फुटकर बाजार में कोल्ड स्टोर का मिट्टी लगा आलू बेचे जाने से पहाड़ के किसानों को आलू के वाजिब दाम नहीं मिल रहे। मंडी के व्यापारियों की मानें तो फुटकर बाजार में कीमतें गिरने से मंडी के व्यापारियों को भी नुकसान झेलना पड़ रहा है। क्योंकि आमतौर पर इन दिनों पहाड़ी आलू की कीमत 30-35 रुपये तक पहुंच जाती है, लेकिन इस बार थोक में ही किसानों को कम दाम मिल रहे हैं। पहाड़ के आलू की डिमांड मैदान में भी खूब रहती है। इसलिए बाहर भी आलू भेजा जाता है।
कम मीठा होता है पहाड़ी आलू
आलू फल आढ़ती एसोसिएशन ने गोविंद वल्लभ पंत विवि के एग्रो एंड टेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. विवेक नंद से पहाड़ी आलू और कोल्ड स्टोर के आलू की जांच कराई। जिसमें उन्होंने बताया कि पहाड़ी आलू में स्टार्च की मात्रा 4.574 प्रतिशत होती है। इसलिए इसमें शर्करा की मात्रा कम है। जबकि कोल्ड स्टोर में उपलब्ध आलू में स्टार्च की मात्रा 3.75 प्रतिशत है और शर्करा की मात्रा थोड़ा अधिक होती है। यदि आलू में स्टार्च अधिक होगा तो सुकोज की मात्रा कम होगी और यह कम मीठा होगा। यदि आलू में स्टार्च कम होगा तो सुकोज की मात्रा अधिक होगी यह अधिक मीठा होगा।
जांच कर कार्रवाई की मांग
आलू फल आढ़ती व्यापारी एसोसिएशन ने बुधवार को मंडी परिसर में प्रेस वार्ता कर मिट्टी लगाकर पहाड़ी आलू बेचे जाने के खिलाफ प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है। एसोसिएशन के अध्यक्ष जीवन सिंह कार्की ने बताया कि पहाड़ व स्टोर के आलू के मूल्य में बड़ा अंतर है। एसोसिएशन की जानकारी में यह बात आई है कि खुले बाजार में कोल्ड स्टोर के आलू को मिट्टी और केमिकल लगाकर पहाड़ी आलू बताकर बेचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन प्रशासन से मांग करता है कि पहाड़ी आलू में मिलावट करने वाले कारोबारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए। इस अवसर पर एसोसिएशन के महामंत्री नीरज प्रभात गर्ग, प्रेम मदान, दीपक पाठक, नितिन त्रिपाठी, अमित आसवानी, अरविंद कुमार सहित अन्य व्यापारी मौजूद रहे।
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