नैनीताल का चुनाव पासी से नहीं हारते तो एनडी बन गए होते प्रधानमंत्री!
राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेसी नेता एनडी तिवारी का पीएम बनना तय माना जा रहा था, मगर उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि भाजपा प्रत्याशी बलराज पासी से चुनाव हार जाएंगे।
नैनीताल (जेएनएन) : भरतीय राजनीति को मजबूत आधार देने वाले एनडी तिवारी अपने समय जिस कद के नेता थे उनके लिए कोई भी पद बड़ा नहीं था। उनके राजनीतिक जीवन में ऐसा समय भी आया जब वह प्रधानमंत्री की कुर्सी से चंद कदमों की दूरी पर थे लेकिन शायद किश्मत को कुछ और ही मंजूर था। एनडी तिवारी का अधिकांश राजनीतिक जीवन कांग्रेस के साथ रहा जहां वे संगठन से लेकर सरकारों में महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं में रहे। इलाहाबाद छात्र संघ के पहले अध्यक्ष से लेकर केंद्र में योजना आयोग के उपाध्यक्ष से लेकर, उद्योग, वाणिय पेट्रोलियम और वित्त मंत्री के रूप में तिवारी ने काम किया।
राजीव गांधी के नेतृत्व में वर्ष 1991 का लोकसभा चुनाव चल रहा था। तारीख 21 मई 1991 में चुनाव प्रचार के लिए राजीव गांधी तमिलनाडु गए थे। जहां मानव बम धमाके में उनकी हो जाती है। चुनावी माहौल के बीच हुई इस हत्या से कांग्रेस के पाले में सहानुभूति की लहर दौड़ गई और यही लहर वोट में भी तब्दील हो गई। चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस में यदि दूसरा कोई नाम उस दौरान लिया जा रहा था तो वे थे नारायन दत्त तिवारी।
तब दिग्गज कांग्रेसी नेता एनडी तिवारी का पीएम बनना तय माना जा रहा था, मगर जिंदगी में तमाम चुनाव जीतने वाले एनडी तिवारी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि सहानुभूति वाले इस माहौल में भी वह एक नए-नवेले भाजपाई चेहरे बलराज पासी से चुनाव हार जाएंगे। तब बरेली की बहेड़ी विधानसभा सीट भी नैनीताल लोकसभा सीट में आती थी। उस चुनाव में सभी विधानसभा सीटों पर तिवारी ने जबर्दस्त प्रदर्शन किया, मगर बहेड़ी विधानसभा में मिले कम वोट ने उन्हें भाजपा के बलराज पासी से हरा दिया। उस चुनाव में बलराज पासी को जहां 167509 वोट मिले, वहीं कांग्रेस के एनडी तिवारी को 156080 वोट मिले। इस एक चुनाव ने कई बार केंद्रीय मंत्री रहे एनडी तिवारी के पीएम बनने के सपने को चकनाचूर कर दिया। इसकी टीस आजीवन उन्हें सालती रही।