सूरज हत्याकांड : आइटीबीपी के तीन जवानों को भेजा जेल
सूरज हत्याकांड मामले में पुलिस ने आइटीबीपी के तीन जवानों को गिरफ्तार किया है।
संस, लालकुआं : आइटीबीपी की हल्दूचौड़ स्थित 34वीं वाहिनी में भर्ती के दौरान सूरज हत्याकांड का पुलिस ने खुलासा करते हुए तीन जवानों को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया है। धरना स्थल पर पहुंचे नानकमत्ता विधायक डॉ. प्रेम सिंह राणा, सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष कुमार व अपर पुलिस अधीक्षक अमित श्रीवास्तव ने प्रदर्शनकारियों को खुलासे की जानकारी दी, लेकिन ग्रामीण सूरज की हत्या का कारण बताने व अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी होने तक धरना जारी रखने का एलान कर दिया।
गत दिवस रविवार को पुलिस ने बहुद्देश्यीय भवन हल्द्वानी में आइटीबीपी के भर्ती बोर्ड के 18 जवानों को पूछताछ के लिए बुलाया था। इस दौरान भर्ती में सूरज के साथ आए उसके दोस्तों की शिनाख्त पर हरियाणा, राजस्थान व बुलंदशहर निवासी दो कांस्टेबल व एक हेड कांस्टेबल को हत्या व शव छुपाने की धाराओ में गिरफ्तार कर लिया। जिनको सोमवार को नैनीताल कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया है। दोपहर को नानकमत्ता विधायक प्रेम सिंह राणा द्वारा धरना स्थल पर पहुंचकर उनकी गिरफ्तारी की सूचना परिजनों व ग्रामीणों को दी, लेकिन प्रदर्शनकारी पुलिस के अधिकारियों को मौके पर बुलाकर उनके द्वारा मामले का खुलासा करने की मांग की। जिसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष कुमार व अपर पुलिस अधीक्षक अमित श्रीवास्तव व कोतवाल योगेश उपाध्याय धरना स्थल में पहुंचे। जिन्होंने मामले में तीन आइटीबीपी के जवानों की गिरफ्तारी की सूचना देते हुए धरना प्रदर्शन समाप्त करने की चेतावनी दी, लेकिन प्रदर्शनकारी सूरज को बेरहमी से मारने का कारण बताने व अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी करने तक आंदोलन जारी रखने पर अड़ गए। विधायक राणा व पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल द्वारा प्रदर्शनकारियों का काफी समझाया गया, लेकिन वह प्रदर्शन करने पर अड़े रहे।
नानकमत्ता विधायक व पूर्व केबिनेट मंत्री भी धरने पर पहुंचे
सोमवार को खटीमा विधायक प्रेम सिंह राणा व पूर्व हरीश चंद्र दुर्गापाल व कांग्रेसी नेता हरेंद्र बोरा व भारतीय किसान सभा के जिलाध्यक्ष बहादुर सिंह जंगी समेत तमाम लोगों ने धरना स्थल आंदोलन को समर्थन दिया।
समझ से परे आरोपितों को चोरी छिपे कोर्ट में पेश करने का मकसद
छोटी-छोटी घटनाओं का खुलासा करने पर पत्रकार वार्ता करने वाली जनपद पुलिस ने बहुचर्चित सूरज हत्याकांड का खुलासा करने पर पत्रकारों को सूचना देने तक की जहमत तक नहीं उठाई। आरोपितों के नैनीताल कोर्ट पहुंचने के बाद सोशल मीडिया में प्रेस रिलीज जारी कर पुलिस ने अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। यही नहीं पुलिस आरोपितों के नाम व पते बताने से भी बच रही है। पुलिस का कहना है मामला सेना से जुड़ा है इसलिए नाम पते उजागर करने की अनुमति नहीं है।
घटनास्थल के पास से जूते बरामद
सोमवार को ग्रामीणों ने घटनास्थल के पास मृतक सूरज के जूते बरामद किए है। हैरत की बात यह है कि पुलिस व परिजन उस स्थान पर कई बार चेकिंग अभियान चला चुकी है, लेकिन जूते नहीं मिले। ऐसे में परिजनों ने आरोप लगाया है कि अपने को फंसता देख आइटीबीपी के जवानों ने रविवार रात्रि को जूतों को ऐसे स्थान पर फेंक दिया है जहां पर आसानी से नजर पड़ सके।
आइटीबीपी के शक में आने के कारण
भर्ती के दौरान सूरज के लापता होने के बाद से ही आइटीबीपी के जवान शक के दायरे आने लगे थे। आइटीबीपी अधिकारियों द्वारा उसकी खोजबीन करने की बजाय परिजनों को उसके भाग जाने की सूचना दी। जबकि शव मिलने केबाद भर्ती बोर्ड के अधिकारियों द्वारा शव बरामद होने की दिशा में ही उसके भागने की जानकारी दी गई। जिसपर सवाल उठने लगा कि जब सूरज उधर को भागा तो फिर उस ओर उसे खोजा क्यों नहीं गया। इसके अलावा आइटीबीपी बार-बार अपने नए व पुराने परिसर में खोजबीन करने और वहां उसके न मिलने की जानकारी देती रही, लेकिन बाद में विवाद स्थल के 20 मीटर दूर ही शव बरामद किया गया। परिजनों का यह भी कहना है कि अगर सूरज की हत्या नहीं की गई है तो फिर उसके शरीर से जूते, घड़ी, बनियान, राखी, मोजे गायब कैसे हो गए। इसके अलावा आइटीबीपी जवानों द्वारा सूरज को पीटते हुए उसके दोस्तों व सड़क से गुजर रही स्कूल बस ने भी देख लिया था।
भाई को रोजगार देने की मांग
मृतक के पिता ओमप्रकाश सक्सेना, भाई गोविंद, बहन सपना व कन्हैया वर्मा ने विधायक द्वारा पांच लाख रुपये की सहायता की घोषणा को नकारते हुए सहायता राशी को बढ़ाने, भाई को नौकरी देने व हत्यारों को कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। जिसपर विधायक ने मुख्यमंत्री से वार्ता कर उचित कार्रवाई करने का भरोसा दिया है।