आयोग ने बीमा कंपनी को दिए पशुपालक को 25 हजार भुगतान के आदेश
पशु की मौत होने पर सिर्फ टैग प्रस्तुत नहीं कर पाने के आधार पर बीमा क्लेम निरस्त नहीं हो सकता बशर्ते अन्य औपचारिकताएं पूरी हों। जिला उपभोक्ता आयोग ने अपने एक फैसले में ऐसे ही एक पशुपालक को 25 हजार भुगतान करने के आदेश बीमा कंपनी को दिए हैं।
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़ : पशु की मौत होने पर सिर्फ टैग प्रस्तुत नहीं कर पाने के आधार पर बीमा क्लेम निरस्त नहीं हो सकता, बशर्ते अन्य औपचारिकताएं पूरी हों। जिला उपभोक्ता आयोग ने अपने एक फैसले में ऐसे ही एक पशुपालक को 25 हजार की बीमा राशि का भुगतान करने के आदेश बीमा कंपनी को दिए हैं।
बेरीनाग विकास खंड के पशुपालक राजन राम ने दुधारू गाय का बीमा ओरिएंटल इंश्योरेंश कंपनी से कराया था। गाय की अचानक मौत हो जाने पर उसने पोस्टमार्टम रिपोर्ट आदि की औपचारिकताएं पूरी करते हुए बीमा क्लेम मांगा। कंपनी ने नो टैग, नो पेमेंट आधार पर क्लेम निरस्त कर दिया।
राजन ने मामला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के समक्ष रखा। आयोग अध्यक्ष एवं जिला जज डा. जीके शर्मा और सदस्य चंचल सिंह बिष्ट ने मंगलवार को मामले की सुनवाई की। बीमा कंपनी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि पशुपालक पशु के कान पर लगाया जाने वाला टैग प्रस्तुत नहीं कर सका, इस आधार पर क्लेम निरस्त किया गया है। आयोग ने इस तर्क को नहीं माना।
आयोग ने अपने फैसले में कहा कि अन्य दस्तावेज से जब मृत गाय की पहचान सुनिश्चित हो चुकी हो तो सिर्फ टैग नहीं होने के आधार पर बीमा क्लेम निरस्त नहीं हो सकता। आयोग ने ऐसे ही एक मामले में हिमाचल उपभोक्ता आयोग के फैसले का उदाहरण रखते हुए बीमा कंपनी को 25 हजार की बीमा राशि के साथ ही पांच हजार रुपये क्षतिपूर्ति और पांच हजार रुपये वाद व्यय के रू प मेें पशुपालक को दिए जाने के आदेश बीमा कंपनी को दिए। एक माह के भीतर भुगतान नहीं करने पर वाद दायर करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक सात प्रतिशत ब्याज भी बीमा कंपनी को देना होगा।
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