चीन सीमा तक सैन्य वाहनों की आवाजाही होगी आसान, नवनिर्मित सड़क की पिचिंग का काम शुरू
चीन सीमा लिपुलेख तक निर्मित तवाघाट-गर्बाधार-लिपुलेख मार्ग की पिचिंग का काम शुरू हो गया है। जल्द ही यह हाईवे का रूप ले लेगा।
पिथौरागढ़, तेज सिंह गुंज्याल : चीन सीमा लिपुलेख तक निर्मित तवाघाट-गर्बाधार-लिपुलेख मार्ग की पिचिंग का काम शुरू हो गया है। जल्द ही यह हाईवे का रूप ले लेगा। अभी तवाघाट से आगे काम शुरू हुआ है। यहां से लिपुलेख तक करीब 90 किमी मार्ग की पिचिंग होते ही चीन सीमा तक पहुंचना बेहद आसान हो जाएगा। यह सड़क 12 मीटर चौड़ी और कुछ स्थानों पर 14 मीटर भी। इससे सामरिक के साथ ही पर्यटन की दृष्टि से यह सड़क अति महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि नेपाल ने इसका विरोध शुरू किया है।
नेपाल से लगी सीमा पर तवाघाट से आगे काली नदी किनारे से होते हुए गुजरना आसान नहीं था। लोगों की हिम्मत जवाब दे जाती थी, लेकिन अब यहां चकाचक सड़क किसी कौतुहल से कम नहीं। अभी प्रथम चरण में तवाघाट से घटियाबगड़ तक पिचिंग का काम चल रहा है। इसके बाद घटियाबगड़ से लिपुलेख तक पूरा मार्ग ही पिच हो जाएगा। संक्रमण काल में बीआरओ बना रोजगार का बड़ा माध्यम कोरोना संक्रमण काल में सबसे बड़ी समस्या रोजगार की है। घर से बाहर गए प्रवासी गांव लौटे हैं। सभी को रोजगार की तलाश है।
ऐसे में धारचूला से लेकर कुटी, गुंंजी तक के ग्रामीणों के लिए बीआरओ ने काम मुहैया कराया है। सीमा पर बन रही सड़कों के लिए बीआरओ ने स्थानीय मजदूरों को ही लगाया है। इससे स्थानीय लोगों को घर पर ही बेहतर काम मिल गया है। तवाघाट से बूंदी तक काम करने पर प्रतिमाह 15 हजार और उच्च हिमालय में तैनात मजदूरों को 18 हजार रु पये प्रतिमाह मिल रहा है।
सामरिक रूप से अति महत्वपूर्ण
चीन सीमा तक बनी सड़क सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसे नेपाल सीमा के समानांतर बनाया गया है। इससे जवानों की सीमा क्षेत्र तक आवागमन और साजो-सामान पहुंचाने में भी मदद मिलेगी। अभी तक यह काम घोड़े- खच्चरों से लिया जाता था। चीन सीमा तक पहुंचने में धारचूला से पहले चार दिन का समय लगता था, लेकिन अब एक दिन में सफर पूरा हो जाएगा।
- -12 साल में पूरा हुआ सड़क बनाने का काम
- -216 किमी है पिथौरागढ़ से चीन सीमा लिपुलेख की दूरी
- -03 घंटे में अब गर्बाधार से चीन सीमा तक पहुंच सकेंगे
- -07 दिन में पूरी होगी कैलास मानसरोवर यात्रा
- -17,000 फीट की ऊंचाई पर बनी सड़क
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