त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव : तीन हफ्ते में दायर की जा सकती है चुनाव याचिका
हाईकोर्ट ने पिछले वर्ष अक्टूबर में हरिद्वार को छोड़कर 12 जिलों में संपन्न त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान विभिन्न विवादों पर दायर 51 याचिकाएं बुधवार को निस्तारित कर दीं।
नैनीताल, जेएनएन : हाईकोर्ट ने पिछले वर्ष अक्टूबर में हरिद्वार को छोड़कर 12 जिलों में संपन्न त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान विभिन्न विवादों पर दायर 51 याचिकाएं बुधवार को निस्तारित कर दीं। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को तीन सप्ताह के भीतर नियमानुसार सक्षम अधिकारी के पास चुनाव याचिका दायर करने की छूट भी प्रदान की है।
न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकल पीठ में हल्द्वानी के भूपेंद्र सिंह समेत 51 याचिका पर एक साथ सुनवाई हुई। इनमें ग्राम प्रधान, बीडीसी सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, वार्ड मेंबर से संबंधित नामांकन, आरक्षण, शैक्षिक योग्यता व चुनाव में धांधली को आधार बनाया गया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट के संज्ञान में लाया गया कि उत्तर प्रदेश में पंचायती राज अधिनियम 1947 व 1961 के तहत 1914 में चुनाव से संबंधित विवादों के निपटारे के लिए पांच प्रकार के नियम बने थे। ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, उप प्रधान के चुनाव के विवाद के लिए चुनाव याचिका एसडीएम के पास, बीडीसी सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, अध्यक्ष, क्षेत्र पंचायत प्रमुख, उप प्रमुख के चुनाव विवाद के निस्तारण को जिला जज के पास चुनाव याचिका दायर करने का प्रावधान किया गया था।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि 2016 में उत्तराखंड में नया एक्ट अस्तित्व में आ गया है। मगर इसमें चुनाव संबंधी विवादों के निपटारे के नियम शामिल नहीं है। 16 नवंबर को न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकल पीठ ने इसे महत्वपूर्ण बिंदु माना। इसी बीच प्रदेश सरकार ने इस वर्ष दस जून को राज्य के अधिनियम में पहला संशोधन किया, जिसमें कहा कि नए नियम बनने तक उप्र पंचायत राज अधिनियम 1947 व 1961 के नियम ही लागू होंगे।
राज्य निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता संजय भट्ट ने कोर्ट को बताया कि जब तक नए नियम नहीं बनते, उत्तर प्रदेश के नियमों को स्वीकार किया गया है। इसके बाद एकल पीठ ने सभी 51 याचिकाओं को निस्तारित करते हुए आदेश पारित किया कि याचिकाकर्ता तीन सप्ताह के भीतर चुनाव याचिका दायर कर सकते हैं।