Move to Jagran APP

पंतनगर कृषि विवि के वीसी ने अपना ही फैसला पलट यौन शोषण के आरोपित को बनाया निदेशक

अक्सर चर्चा में रहने वाला पंतनगर कृषि विवि एक बार फिर सुर्खियों में है। एक माह पहले विवि की छात्राओं ने जिस प्रोफेसर पर यौन शोषण का आरोप लगाया था उसे कुलपति ने दंडित किया था

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 26 Apr 2019 05:48 PM (IST)Updated: Fri, 26 Apr 2019 05:48 PM (IST)
पंतनगर कृषि विवि के वीसी ने अपना ही फैसला पलट यौन शोषण के आरोपित को बनाया निदेशक
पंतनगर कृषि विवि के वीसी ने अपना ही फैसला पलट यौन शोषण के आरोपित को बनाया निदेशक

पंतनगर, जेएनएन : अक्सर चर्चा में रहने वाला पंतनगर कृषि विवि एक बार फिर सुर्खियों में है। एक माह पहले विवि की छात्राओं ने जिस प्रोफेसर पर यौन शोषण का आरोप लगाया था, उसे कुलपति ने दंडित किया था और पांच साल तक उनको किसी बड़े प्रशासनिक पद पर जिम्मेदारी देने पर रोक लगा दी थी। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि एक माह बाद ही कुलपति ने अपना फैसला पलटते हुए उन्हीं आरोपित प्रोफेसर को इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, पटवाडांगर के निदेशक पद का जिम्मा दे दिया है। इसको लेकर जहां पीडि़त छात्राओं के परिजन लामबंद होने लगे हैं तो मामला हर जुबां पर सुनाई दे रहा है। 

loksabha election banner

करीब तीन सप्ताह पूर्व विवि के कॉलेज ऑफ एग्रीबिजनेस मैनेजमेंट के प्राध्यापक डॉ. मुकेश पांडे पर विवि के कृषि महाविद्यालय की छात्रा ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। इसी के साथ दो अन्य छात्राओं ने भी डॉ. पांडे पर इसी तरह आरोप लगाकर सनसनी फैला दी। छात्रा के परिजनों ने पंतनगर आकर कुलपति डॉ. तेज प्रताप से प्राध्यापक के विरुद्ध कठोर कार्यवाई की गुहार लगाई थी। इस पर कुलपति ने मामला विवि की एंटी सेक्सुअल हैरेसमेंट कमेटी को सौंपते हुए जांच के आदेश दिए थे। जांच में बयानों, साक्ष्यों के बाद यह बात सामने आई कि प्रोफेसर पर आरोप सही है। यह आरोप सही निकला कि प्रोफेसर ने पीडि़तों पर दबाव बनाने के ऑडियो-वीडियो क्लिप जारी करने की बात कही थी। इसके अलावा सहकर्मियों एवं पड़ोसियों ने भी डॉ. पांडे के महिलाओं के प्रति अशोभनीय व्यवहार की गवाही दी।

इन तमाम प्रमाण के आधार पर कमेटी ने जांच में प्राध्यापक डॉ. मुकेश पांडे को दोषी पाया। कमेटी की जांच रिपोर्ट एवं कुलपति की संस्तुति पर मुख्य कार्मिक अधिकारी द्वारा प्राध्यापक की अगले तीन वर्षों के लिए वेतन वृद्धि रोकने सहित अगले पांच वषों तक किसी भी प्रशासनिक पद पर तैनाती नहीं करने की कार्रवाई कर दी। साथ ही प्राध्यापक को पंतनगर से हटाकर इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, पटवाडांगर से संबद्ध करते हुए यह चेताया गया था कि दोबारा शिकायत मिली तो नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा। इस त्वरित कार्यवाही के लिए कुलपति को सराहना भी मिली थी। लेकिन अभी डॉ. पांडे को दंडित हुए तीन सप्ताह भी नहीं बीते थे कि विवि प्रशासन ने डॉ. पांडे को इंस्टीट््यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, पटवाडांगर के निदेशक पद का प्रभार देकर अपने ही आदेशों का अतिक्रमण कर दिया। इतनी जल्दी एक दोषी प्राध्यापक को उच्च पद से नवाजे जाने की परिसर में जबरदस्त चर्चा है।

न्याय न मिलने पर पुलिस की शरण लेंगे परिजन

पीडि़त छात्रा के परिजनों ने कुलपति के फैसले की जानकारी मिलने पर कहा है कि दोषी प्राध्यापक को पहले ही कम सजा दी गई थी, अब निदेशक का पदभार देकर उनकी पुत्री के साथ अन्याय किया गया है। इससे उन्हें घोर निराशा हुई है। पहले वे लोग कुलपति से प्राध्यापक को दिया गया पदभार वापस लिए जाने की गुहार लगाएंगे। यदि ऐसा नहीं हुआ तो  पुलिस और अदालत की शरण लेंगे। 

अस्‍थाई तौर पर दी गई है जिम्‍मेदारी 

डॉ. तेज प्रताप, कुलपति-पंत विश्वविद्यालय ने बताया कि दंडित प्राध्यापक को अस्थाई तौर पर जिम्मेदारी दी गई है। जल्द ही बायोटेक्नोलॉजी के वरिष्ठ अधिकारी को निदेशक का पदभार दिया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.