'आधी आबादी' में आधी महिलाएं भी नहीं चुनाव लडऩे योग्य, पंचायत चुनाव संशोधन कानून बना बाधा
पंचायत चुनाव संशोधन कानून के हिसाब से उत्तराखंड में 55 फीसद से अधिक लोग पंचायत चुनाव लडऩे के लिए अर्ह नहीं हैं।
काशीपुर (ऊधमसिंहनगर) जेएनएन : पंचायत चुनाव संशोधन कानून के हिसाब से उत्तराखंड में 55 फीसद से अधिक लोग पंचायत चुनाव लडऩे के लिए अर्ह नहीं हैं। उत्तराखंड में 55 फीसद से अधिक ग्रामीण विवाहित महिलाओं के दो से अधिक जीवित बच्चों से यह स्थिति बनी है। भारत सरकार के जनगणना निदेशालय की रिपोर्ट में उत्तराखंड की 2011 की जनगणना का आंकड़ा यही तस्दीक करता है।
कानून व जागरूकता संबंधी पुस्तकों के लेखक व आरटीआइ एक्टीविस्ट नदीम उद्दीन ने जनगणना निदेशालय से उत्तराखंड के आंकड़ों की जानकारी ली तो यह तथ्य सामने आए। नदीम के अनुसार जनगणना 2011 के आंकड़ों में उत्तराखंड में सभी आयु वर्ग की कुल 49.48 लाख महिलाएं हैं। इनमें से 55 फीसद यानी 27.32 लाख ही विवाहित हैैं। इन महिलाओं में 19.38 लाख ग्रामीण हैं। इनमें से 10 लाख 75 हजार 256 महिलाओं के दो से अधिक जीवित बच्चे हैैं। ये महिलाएं तथा इनके पति इस आधार पर यहां पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।
11 फीसद महिलाओं का नहीं एक भी बच्चा
बकौल नदीम उत्तराखंड की जनसंख्या आंकड़ों के अनुसार कुल ग्रामीण विवाहित महिलाओं मेें से 11 फीसद का एक भी बच्चा नहीं है। जबकि 12 फीसद महिलाओं के एक बच्चा तथा 21 फीसद के दो बच्चे हैं। 21 फीसद महिलाओं के तीन बच्चे हैैं तथा 16 फीसद के चार जीवित बच्चे हैं। जबकि 18 फीसद महिलाओं के पांच या अधिक जीवित बच्चे हैं।
दो से अधिक बच्चों वाली महिलाओं में हिंदू ज्यादा
दो सेे अधिक बच्चों वाली कुल 10,75,256 विवाहित महिलाओं में सबसे अधिक 9,44,364 हिंदू हैं। जबकि 1,03,014 महिलाएं मुस्लिम, 24329 सिख, 1866 ईसाई, 790 बौद्ध, 92 जैन तथा 66 महिलाएं अन्य धर्मों की हैं।
संतान रहित महिलाओं में भी हिंदू ज्यादा
उत्तराखंड की कुल 19,38,434 ग्रामीण विवाहित महिलाओं में से 2,13,005 महिलाओं का एक भी बच्चा नहीं हैै। इनमें 1,85,841 ङ्क्षहदू, 20158 मुस्लिम, 5751 सिख व 615 ईसाई, 44 जैैन व 224 महिलाएं बौद्ध धर्म की हैैं।