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तराई के जंगलों में सक्रिय तस्करों पर निगाह रखने के लिए हर रात अलग रेंजर को गश्त के आदेश

तराई के जंगलों में सक्रिय तस्करों पर निगाह रखने के लिए वन विभाग ने नाइट गश्त को लेकर खासा निर्देश दिए हैं। तराई केंद्रीय डिवीजन के सभी सात रेंज अलग-अलग दिन गूलरभोज डैम के आसपास निगरानी करते हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 07:39 AM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 07:45 AM (IST)
तराई के जंगलों में सक्रिय तस्करों पर निगाह रखने के लिए हर रात अलग रेंजर को गश्त के आदेश
तराई के जंगलों में सक्रिय तस्करों पर निगाह रखने के लिए हर रात अलग रेंजर को गश्त के आदेश

हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : तराई के जंगलों में सक्रिय तस्करों पर निगाह रखने के लिए वन विभाग ने नाइट गश्त को लेकर खासा निर्देश दिए हैं। तराई केंद्रीय डिवीजन के सभी सात रेंज अलग-अलग दिन गूलरभोज डैम के आसपास निगरानी करते हैं। पांच सदस्यीय टीम के सदस्यों की निगाह खैर तस्करों पर ज्यादा रहती है। क्योंकि, पूर्व में इस इलाके में कई बार तस्करी की बात सामने आ चुकी है।

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गूलरभोज डैम का क्षेत्र काफी बड़ा है। कुछ इलाकों में पहुंचने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है। पूर्व में कई बार ऐसा भी देखना को मिला है कि तस्कर वनकर्मियों से बचने के लिए किनारे पर लकड़ी छोड़ नाव और अंधेरे के सहारे गायब हो गए। इसके अलावा कछुवा तस्करों की सक्रियता भी यहां रहती है। जिस वजह से अफसरों ने गश्त को लेकर हर रेंज के रेंजर की नाइट शिफ्ट तय कर रखी है। जिसका असर भी देखने को मिल रहा है।

इन रेंज के अफसर कर रहे गश्त

तराई केंद्रीय डिवीजन के तहत हल्द्वानी रेंज, टांडा रेंज, भाखड़ा रेंज, गदगदिया रेंज, पीपलपड़ाव रेंज, बरहैनी रेंज व रुद्रपुर रेंज आती है। इसके अलावा डिवीजन एसओजी टीम 24 घंटे अलर्ट रहती है। डिवीजन के किसी भी क्षेत्र में सूचना मिलते ही यह मदद को पहुंच जाती है।

उत्तर प्रदेश के तस्कर सक्रिय

तराई के जंगलों के संवेदनशील होने की बड़ी वजह उत्तर प्रदेश के बार्डर का पास होना भी है। खैर के तस्करों का कनेक्शन बिलासपुर के बड़े तस्करों से भी है। बिलासपुर पहुंची लकड़ी को बाद में हरियाणा तक भेजा जाता है।

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