प्राथमिकी दर्ज करने का सूचना आयोग का आदेश निरस्त
हाई कोर्ट ने रुड़की के असिस्टेंट प्रोफेसर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के राज्य सूचना आयोग के आदेश को निरस्त कर दिया है।
By Edited By: Published: Tue, 19 Jun 2018 01:45 AM (IST)Updated: Tue, 19 Jun 2018 05:05 PM (IST)
जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने रुड़की के असिस्टेंट प्रोफेसर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के राज्य सूचना आयोग के आदेश को निरस्त कर दिया है। एक दूसरे मामले में भी आदेश को निरस्त कर दिया है। कोर्ट के आदेश से राज्य सूचना आयोग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है। रुड़की के बीएसएम कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर रहे डॉ. सम्राट शर्मा ने याचिका दायर कर कहा था कि 15 जुलाई 2013 को उनके द्वारा राज्य सूचना आयोग में अपील की थी। इस अपील में याचिकाकर्ता द्वारा कॉलेज में यूजीसी से मिले अनुदान के संबंध में सही जानकारी नहीं देने तथा दस्तावेजों में गड़बड़ी को आधार बनाया था। राज्य सूचना आयोग में अपील के दौरान वह उपस्थित नहीं हुए और कॉलेज के प्राचार्य या प्रथम विभागीय अधिकारी का पत्र आयोग में पेश किया गया। इसमें याचिकाकर्ता पर उन्हें भेजे गए दस्तावेजों में कूटरचना का आरोप लगाया गया था। इस पत्र के आधार पर 16 सितंबर 2013 को तत्कालीन सूचना आयुक्त विनोद नौटियाल द्वारा आदेश पारित कर कहा था कि लोक सूचना अधिकारी चाहें तो याचिकाकर्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा सकते हैं। इस आदेश के आधार पर प्राचार्य या लोक सूचना अधिकारी द्वारा उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। सूचना आयुक्त के इस आदेश को याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई। याचिका में कहा गया कि राज्य सूचना आयोग द्वारा मात्र प्रथम सूचना अधिकारी के पत्र को आदेश का आधार बना दिया गया। न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद राज्य सूचना आयोग का आदेश निरस्त कर दिया। इसके अलावा कोर्ट ने एक अन्य मामले में डॉ. सम्राट शर्मा के खिलाफ सूचना आयुक्त राजेंद्र कोटियाल द्वारा पारित आदेश को भी निरस्त कर दिया, जिसमें आयोग द्वारा याचिकाकर्ता के खिलाफ टिप्पणी की गई थी।
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