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राज्य स्तरीय फुटबॉल प्रतियोगिता में खेलेंगी महज चार टीमें, नौ जिलों से टीमें आई ही नहीं

राज्य में खेलों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। इसमें सरकार ही नहीं खेल विभाग के अफसर भी बराबर के जिम्मेदार हैं। कोरोना के कारण जो प्रतियोगिता पहले नहीं हो सकी थी उन्हें अब वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले कराने की जुगत शुरू हो गई है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 09:19 AM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 09:19 AM (IST)
राज्य स्तरीय फुटबॉल प्रतियोगिता में खेलेंगी महज चार टीमें, नौ जिलों से टीमें आई ही नहीं
राज्य स्तरीय फुटबॉल प्रतियोगिता में खेलेंगी महज चार टीमें, नौ जिलों से टीमें आई ही नहीं

हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : राज्य में खेलों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। इसमें सरकार ही नहीं खेल विभाग के अफसर भी बराबर के जिम्मेदार हैं। कोरोना के कारण जो प्रतियोगिता पहले नहीं हो सकी थी उन्हें अब वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले कराने की जुगत शुरू हो गई है। इसी जुगत में अब विभाग द्वारा अनुसूचित जाति बालकों की राज्य स्तरीय ओपन फुटबॉल प्रतियोगिता कराई है। जिसमें केवल चार टीमों के बीच ही लीग, सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबला खेला जाएगा। अन्य नौ जिलों से विभागीय अफसरों ने अपनी टीम ही नहीं भेजी।

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यह टीमें ले रही हिस्सा

खेल विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अब तक प्रतियोगिता के लिए ऊधमसिंह नगर, चमोली, बागेश्वर और नैनीताल की टीम ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है। जबकि, अन्य नौ जिलों की टीमों का कोई पता नहीं है।

इन जिलों ने नहीं भेजी टीमें

खेल विभाग द्वारा सालभर में कराई जाने वाली विभिन्न प्रतियोगिताओं के लिए प्रत्येक जिले में खेल विभाग द्वारा खिलाडिय़ों को प्रशिक्षित किया जाता है। जिसके बाद राज्य स्तर की प्रतियोगिता के लिए टीम चुनी जाती है। लेकिन अनुसूचित जाति बालकों की ओपन राज्य स्तरीय फुटबॉल प्रतियोगिता के लिए अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चम्पावत, देहरादून, पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, हरिद्वार जिले की कोई भी टीम नहीं आई है।

अफसरों का तर्क

मामले में खेल विभाग के संयुक्त निदेशक धर्मेंद्र भट्ट का कहना है कि कोरोना गाइडलाइन के अनुसार किसी भी खेल प्रतियोगिता में खिलाडिय़ों और टीमों की संख्या सीमित रखी जानी है। ऐसे में कई बार प्रतियोगिताओं में कम टीमों को ही प्रतिभाग कराया जाता है। इस प्रतियोगिता में भी ऐसा ही हुआ है। यहां एक बात समझ से बाहर है कि वर्तमान में हल्द्वानी में ही चल रही जूनियर फुटबॉल प्रतियोगिता में लगभग सभी जिलों की टीम भाग ले रही है। आखिर वहां क्यों कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं हुआ।

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