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कुमाऊं विवि में धूल खा रही हैं दो लाख डिग्रियां, ऑनलाइन उपलब्ध कराने को बनेगा वेबपोर्टल

कुमाऊं विवि में करीब दो लाख डिग्रियां विवि की लापरवाही व छात्रों की लापरवाही की वजह से संबंधित हितधारक तक नहीं पहुंची हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 02 Nov 2019 09:35 AM (IST)Updated: Sun, 03 Nov 2019 09:31 AM (IST)
कुमाऊं विवि में धूल खा रही हैं दो लाख डिग्रियां, ऑनलाइन उपलब्ध कराने को बनेगा वेबपोर्टल

नैनीताल, जेएनएन : कुमाऊं विवि में करीब दो लाख डिग्रियां विवि की लापरवाही व छात्रों की लापरवाही की वजह से संबंधित हितधारक तक नहीं पहुंची हैं। अब कुलपति प्रो. केएस राणा ने लंबित डिग्रियों को छात्रों को उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने ऑनलाइन डिग्री उपलब्ध कराने के लिए वेबपोर्टल बनाने के निर्देश परीक्षा विभाग को दिए हैं।

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शुक्रवार को विवि प्रशासनिक भवन में कुलपति प्रो. राणा ने परीक्षा विभाग की समीक्षा बैठक ली तो पता चला कि 1992 तक बन चुकी डिग्रियां अलमारियों में कैद हैं। इस पर उन्होंने हैरानी जताते हुए संबंधित छात्रों को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। कुलपति ने उपकुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक, डीआइसी निदेशक समेत आइटी डिवीजन के अधिकारियों के साथ बैठक की। कुलपति ने बताया कि नवंबर दूसरे पखवाड़े से ऑनलाइन पोर्टल खोल दिया जाएगा। जिसमें 1974 से 1992 तक बनी डिग्री संबंधित छात्र-छात्राएं प्राप्त कर सकेंगे। कुलपति ने कहा कि 1992 के बाद के उत्तीर्ण छात्र-छात्राएं भी इस पोर्टल के माध्यम से डिग्री हासिल करने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। कुलपति ने कहा कि पुरातन छात्रों तक डिग्री पहुंचाना विवि का कर्तव्य है, विवि के पुरातन छात्र-छात्राएं राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पटल पर महत्वपूर्र्ण दायित्व निभा रहे हैं। ये छात्र किसी कारणवश डिग्री नहीं ले सके हैं, मगर अब विवि उन तक डिग्रियां उपलब्ध कराएगा।

ऐसे करना होगा आवेदन

कुलपति ने बताया कि पुरातन छात्रों को आवेदन पत्र के प्रारूप को भरते हुए वर्तमान पत्राचार पते को अद्यतन कराना होगा। साथ ही ऑनलाइन माध्यम से वार्षिक या सेमेस्टर प्रणाली के तहत हासिल अंकतालिका की प्रति अपलोड करनी होगी। संबंधित छात्र-छात्रा को आधार कार्ड या सरकार द्वारा जारी पहचान पत्र की प्रति भी अपलोड करनी होगी। मोबाइल नंबर व ईमेल आइडी देना होगा। वन टाइम पासवर्ड के माध्यम से आवेदनकर्ता से संपर्क सूत्र स्थापित किया जाएगा। विवि के जनसंपर्क अधिकारी डॉ महेंद्र राणा के अनुसार कुलपति के प्रयासों से एक दशक से अधिक समय से अल्मोड़ा परिसर के छात्रावास के लिए धनराशि स्वीकृत हो चुकी है तो भीमताल को पूर्ण परिसर का दर्जा मिल चुका है।


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