प्रत्याशी के साथ एक दिन : चेहरे से नहीं झलकती सियासत के दिग्गज हरदा की चुनावी आपाधापी
कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत की चुनावी रणनीति जानने के लिए दैनिक जागरण संवाददाता ने उनके साथ पूरा दिन गुजारा। आइए जानते हैं उनकी दिनचर्या और इलेक्शन मैनजमेंट का तरीका।
हल्द्वानी, जेएनएन : प्रचार की आपाधापी है। कभी इधर तो कभी उधर। ऐसे में प्रत्याशी के सामने खुद को सहज रखने के साथ ही रूटीन की गतिविधियों को अंजाम देने की बड़ी चुनौती है। प्रचार का समय में कम रह गया है। इतने समय में ही आम से खास तक पहुंचना बहुत मुश्किल है। इस मुश्किल को दूर करने के लिए कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत की क्या रणनीति है? इसे जानने के लिए दैनिक जागरण संवाददाता ने उनके साथ पूरा दिन गुजारा। आइए जानते हैं उनकी दिनचर्या और इलेक्शन मैनजमेंट का तरीका।
अपना घर नहीं है, लेकिन घर जैसा ही माहौल। देवलचौड़ के एक होटल के निकट है कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत का अस्थायी ठिकाना। सुबह नौ बजे तक उनके कमरे के बाहर समर्थकों की भीड़भाड़। कोई फोन पर बिजी है तो कोई लॉन में टहलते हुए प्रत्याशी से मिलने के इंतजार में है। हरीश रावत ने सुबह 6:30 बजे उठे। बरामदे में टहलने के साथ ही उन्होंने योग किया। अखबार पढ़े। पीआरओ से दिन भर के कार्यक्रमों की जानकारी ली। नौ बजते ही कमरे का दरवाजा खुलता है और बाहर इंतजार में बैठे लोग मिलने को टूट पड़ते हैं। किसी ने अपने नेता को प्रणाम किया तो कोई सेल्फी से तस्वीर खिंचने लगा है। समर्थकों से घिरे हुए हैं। बात करते हुए बरामदे में पहुंचते हैं। समर्थकों से जनसभाओं की जानकारी ली और पत्रकारों को साक्षात्कार देने के बाद जनसभा के लिए चल दिए हैं।
बिठोरिया में आधे रास्ते में ही वाहन से उतर गए। हाथ जोड़कर पैदल ही चलने लगे और सामने खड़ी महिला से बोलते हैं, बैंणा आशीर्वाद दिया। जैसे ही आगे बढ़े, पुरानी साइकिल से नौकरी को जा रहे युवक को रोका, कुमाऊंनी में कहने लगे, तुमर आशीर्वाद चैं। इसी बीच उनका पीए नाश्ते का टिफिन कार में रखता है। थोड़ी दूर तक प्रचार करने के बाद कार में बैठे और पूर्व प्रधान कानू बिष्ट के आवास पर आयोजित जनसभा में पहुंच गए। सभा स्थल पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश पहले से ही मौजूद। चटख धूप में बैठे लोग दोनों नेताओं के जिंदाबाद के नारे लगने लगे हैं। 10:15 बजे का वक्त हो चुका है। सभा को संबोधित करते हुए इंदिरा ने उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को कोसा और कहा, ये नेता हिंदू-मुस्लिम फैला रहे हैं। इनसे सावधान रहना है। पिछले दिनों दोनों नेताओं के बीच की तल्खी किसी से छिपी नहीं थी, लेकिन चुनावी संग्राम में मंच साझा करते हुए इंदिरा बोल रही हैं, रावत जाना-पहचाना नाम है। विकास के लिए कांग्रेस को जिताना होगा। हरीश रावत बोलने लगे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका की राजनीति की चर्चा करते हुए देश व स्थानीय स्तर पर पहुंच जाते हैं। भाजपा के राष्ट्रवाद को संकीर्णता और देश तोडऩे वाला बताने लगते हैं, तो इस पर लोगों के सामने अपना नजरिया स्पष्ट कर देते हैं, जिसमें सभी धर्मों, जातियों, संप्रदाय का सम्मान हो। यही तो राष्ट्रवाद है। भाजपा को उन्हीं के मुद्दों पर घेरते हैं और खुद के लिए समर्थन की अपील भी करते हैं। 11 बजे यहां से शक्तिफार्म सितारगंज की ओर चल दिए हैं।
नाश्ता भी कार में ही किया
सियासी दौड़धूप के बीच हल्द्वानी से शक्तिफार्म का रास्ता तय हो रहा है। समय दोपहर के 12 बज चुके हैं। उनके पीआरओ ने टिफिन से रोटी व सब्जी निकाली और उन्हें परोस दिया है। चलते-चलते खाना और बीच-बीच में फोनकॉल भी रिसीव होते रहे। आज पिथौरागढ़ में कार्यक्रम तय था, लेकिन हेलीकाप्टर नहीं मिल सका। इस पर कहने लगते हैं, जब किसी नेता के आगमन की सूचना होती है। वह नहीं पहुंचता है तो लोगों को अच्छा नहीं लगता है। उनकी बातों से लग रहा था कि उनकी इच्छा अन्य सीटों पर भी प्रचार करने की है।
फूलमालाओं से होता रहा स्वागत
शक्तिफार्म में जैसे ही रावत सभास्थल पर पहुंचते हैं, लोगों ने फूलमालाओं से लाद दिया है। यहां भी भाषणों में राष्ट्रीय व स्थानीय मुद्दों ही हैं। सियासी माहौल को अपने पक्ष में करने के लिए कहने लगते हैं, सेना किसी पार्टी की नहीं, बल्कि स्वतंत्र है। सवाल उठाते हैं, इसे दलगत कैसे किया जा सकता है? यहां से शुगर मिल बाजपुर में सभा को संबोधित करते हुए रामलीला मैदान जसपुर की ओर रुख कर दिया है। हल्द्वानी से ही बिटिया की ओर से तैयार टिफिन कार में है। इसी में दोपहर का भोजन है। पीआरओ ने उनके हाथ में रोटी-सब्जी रख दिया है। चिंतन में डूबे सियासी दिग्गज ने भोजन थामा और बातचीत करते हुए केवल सब्जी खाई। जसपुर में रात आठ बजे सभा चलती रही। यहां से काशीपुर रवाना हो गए हैं। यहां भी तीन सभाएं। वहीं तेवर और अंदाज। रात होते ही काशीपुर के ही होटल में रुक गए हैं। होटल में भी तमाम समर्थक हैं। उनसे इलेक्शन मैनेजमेंट को लेकर बातचीत होती है। दूसरे दिन अल्मोड़ा में पहुंच रहे राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर भी चर्चा करने लगे हैं। रात के 12:30 बज चुके हैं। होटल में ही सो गए हैं।
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