कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों के साथ ही हाथियों का भी कुनबा बढ़ा, करीब 20 फीसद संख्या बढ़ी
प्रदेश में हाथियों की गणना पूरी होने के बाद उनकी संख्या की आधिकारिक घोषणा भले ही अभी नहीं की गई है लेकिन सूत्रों के मुताबिक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हाथियों का कुनबा बढ गया है।
रामनगर, जेएनएन : प्रदेश में हाथियों की गणना पूरी होने के बाद उनकी संख्या की आधिकारिक घोषणा भले ही अभी नहीं की गई है लेकिन सूत्रों के मुताबिक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों के साथ ही हाथियों का कुनबा बढ़ा है। हाथियों की संख्या बढऩे से कॉर्बेट प्रशासन उत्साहित है।
बता दें 6 से 8 जून तक पूरे प्रदेश में हाथियों की गणना की गई। यह पहला मौका है जब हाथियों की गणना प्रत्यक्ष विधि द्वारा की गयी थी। इससे पहले हाथी के गोबर के आधार पर जंगल में उनकी गणना की जाती थी। हाथियों की संख्या की जानकारी पाने को विभाग के अधिकारी व कर्मी तथा वन्यजीव प्रेमी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
साल 2015 की गणना के अनुसार कार्बेट टाइगर रिजर्व में हाथियों की कुल संख्या 1035 पाई गई थी। इस बार की गणना में बीस प्रतिशत का इजाफा हुआ है। ये बात दीगर है कि सीटीआर प्रशासन ने अभी हाथियों की वास्तविक संख्या का खुलासा नहीं किया है। बताया जा रहा है कि हाथियों की संख्या की घोषणा वन्यजीव प्रतिपालक कार्यालय देहरादून से होगी। बता दें कि 2007 कार्बेट मेंं 650 हाथी थे
लेकिन सूत्रों के मुताबिक सीटीआर में हाथियों की संख्या 1035 से बढ़कर अब 1250 के आसपास हो गयी है। इनमें कितने वयस्क और कितने छोटे हाथी हैं और नर और मादा हाथी का कितना आंकड़ा है इसका खुलासा नहीं हो सका है। सीटीआर के निदेशक राहुल ने इसकी पुष्टि की है कि सीटीआर में हाथियों की संख्या में करीब 20 फीसद का इजाफा हुआ है।
घटते वास स्थल के कारण संकट में गजराज
वाइल्ड विशेषज्ञाें की मानें तो जलवायु परिवर्तन, मानव के दखल के कारण कंक रीट में तब्दील होते जंगल, बंद होते कॉरिडोर, जंगलों में चारे के अभाव और पानी की कमी के कारण इनकी आबादी पर संकट पैदा होने लगा है।
गजराजों की कत्लगाह बना था कॉर्बेट
काॅर्बेट पार्क 2000 में गजराजों के लिए किसी कत्लगाह से कम नहीं था। उस साल 5 फरवरी, 8 और 10 फरवरी तथा 27 दिसंबर को तस्कर जंगल में घुस कर कई हाथियों को मार गिराने के बाद उनके दांत निकाल कर भागने में कामयाब हुए थे।
म्यूजियम से भी हाथी दांत ले उड़े थे चोर
आपरेशन मानसून से पहले 12 जून 2008 को चोर धनगढ़ी म्यूजियम से हाथी के लगभग 37 किलो वजनी दो दांत ले उड़े थे। कोई सुराग न मिलने पर पुलिस ने फाइनल रिपोर्टी लगा दी थी। आज भी सीटीआर की दक्षिणी सीमा खुली होने के कारण किसी खतरे से कम नही है। दांत के लिए हाथियों का शिकार किया जाता है। इनके दांत के बने आभूषण और खिलौने बाजार में काफी महंगे दाम पर बिकते हैं। विदेशों में काफी मांग है।
सुरक्षा तंत्र मजबूत होने का दावा
सीटीआर के निदेशक राहुल कहते हैं हाथियों एवं मानव के बीच संघर्ष न होने पाए इस दिशा में प्रयास जारी हैं। लोगों को भी जागरूक किया जा रहा है कि हाथियों के कॉरीडोर बंद न होंने दें। सुरक्षा के सवाल पर कहते हैं कि पहले हमारे पास संसाधन कम थे लेकिन अब पूरी चाक चौबंद व्यवस्था है।
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