अब रामनगर में मिलेगी मौसम संबंधी जानकारी
प्रदेश भर के मौसम की जानकारी अब रामनगर से मिलेगी। क्षेत्र में स्वचालित मौसम केंद्र की स्थापना की कवायद शुरू हो गई है।
संवाद सहयोगी, रामनगर: प्रदेश भर के मौसम की जानकारी अब रामनगर से मिलेगी। क्षेत्र में स्वचालित मौसम केंद्र की स्थापना की कवायद शुरू हो गई है। जल्द ही यह काम करना भी शुरू कर देगा।
आपदा प्रबंधन विभाग देहरादून द्वारा रामनगर में स्वचालित मौसम केंद्र बनाया जा रहा है। इससे राज्य भर के मौसम की जानकारी प्रशासन को मिलेगी। इन दिनों तहसील भवन के पीछे खाली पड़ी भूमि में मौसम केंद्र बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। जिसमें राडार समेत अनेक उपकरण लगाए जा रहे हैं। अब तक क्षेत्र की मौसम संबंधी जानकारी स्थानीय प्रशासन को नहीं मिल पाती थी। इसके लगने से अब प्रशासन को मौसम के बारे में जानकारी मिल सकेगी। इसके लगने से मौसम के बदलाव, आर्दता, हवा की गति आदि की जानकारी प्रतिदिन मिलेगी। एसडीएम परितोष वर्मा ने बताया कि आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा इसे लगाया जा रहा है। इंटरनेट के माध्यम से इसे जोड़ा जाएगा। इस केंद्र से तहसील में रोजाना की जानकारी एकत्र करके मौसम विभाग देहरादून को भेजी जाएगी। सुविधाओं से लैस होगी सीतावनी, लैंटाना की जगह लगाए जाएंगे हरी-भरी घास
रामनगर: प्रसिद्घ सीतावनी पर्यटन जोन में वन विभाग अब पर्यटकों के लिए सुविधा बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी गई है। सीतावनी में शौचालय एवं वन्य जीवों को आसानी से देखने के लिए वासस्थल एवं जलाशय निर्माण कराया जा रहा है। इसके अलावा लैंटाना घास नष्ट कर हरी-भरी घास लगाई जाएगी। रामनगर वन प्रभाग के अंतर्गत सीतावनी जोन प्राकृतिक सौंदर्य व वन्य जीवों की मौजूदगी के हिसाब से कॉर्बेट पार्क से कमतर नहीं है। सीतावनी जोन में एक दिन में करीब डेढ़ हजार पर्यटक भ्रमण के लिए जाते हैं। पर्यटकों की अच्छी आमद से उत्साहित वन विभाग को भारी भरकम राजस्व भी मिलता है। ऐसे में अब विभाग ने सीतावनी में सुविधाएं बढ़ाने का मन बनाया है। कोटा रेंजर ललित जोशी ने बताया कि पर्यटकों के लिए भंडारपानी गेट व सीतावनी जोन में पक्के शौचालय की व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा बाघ, चीतल, हाथी, गुलदार को जंगल से बाहर जाने से रोकने की भी कवायद की जा रही है। इसके लिए भी जंगल से लैंटाना झाड़ी हटाकर उसकी जगह बड़ी-बड़ी प्राकृतिक घास उगाकर वन्य जीवों के वास स्थलों में सुधार किया जा रहा है। इतना ही नहीं पक्षियों के लिए भी जगह-जगह पर जलाशय बनाए जा रहे हैं। सीतावनी क्षेत्र में पक्षियों की कई प्रजातियां रहती हैं।