Pollution in Uttarakhand : हल्द्वानी के तिकोनिया में ध्वनि प्रदूषण ज्यादा, नैनीताल में भी मच रहा शोर
Pollution in Uttarakhand प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार दोपहर में 55 और शाम को 50 डेसीबल से ज्यादा ध्वनि प्रदूषण नहीं होना चाहिए मगर हल्द्वानी में बीते महीने अगस्त में यह मानक 66 डेसीबल के पार जा चुका है। नैनीताल की स्थिति भी ठीक नहीं है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: Pollution in Uttarakhand : ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) को लेकर लोग संजीदा नजर नहीं आते। लेकिन हल्द्वानी की मौजूदा स्थिति को लेकर हमें समय रहते अलर्ट हो जाने की जरूरत है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार दोपहर में 55 और शाम को 50 डेसीबल से ज्यादा प्रदूषण नहीं होना चाहिए, मगर हल्द्वानी में अगस्त महीने के ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution in Haldwani) का औसत 66 डेसीबल पार कर हो चुका है। हल्द्वानी के मुकाबले नैनीताल की स्थिति ठीक है। हालांकि मानकों के हिसाब से ध्वनि प्रदूषण का स्तर यहां भी ज्यादा ही है।
तीन साल में तेजी से बढ़ा प्रदूषण
इस साल गर्मियों के सीजन में हल्द्वानी में वायु प्रदूषण (Air pollution in Haldwani) का आंकड़ा पिछले तीन साल के मुकाबले ज्यादा रहा था। अप्रैल में 115.55 माइक्रोग्राम घनमीटर, मई में 113.51 और जून में 115.2 माइक्रोग्राम घनमीटर प्रदूषण रिकार्ड किया गया है। 2019 से 2021 की तुलना में 21 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर की बढ़त देखने को मिली। हल्द्वानी व नैनीताल में किसी भी तरह का औद्योगिक क्षेत्र नहीं है। खनन इकाई यानी क्रशर भी अधिकांश शहरी क्षेत्र से बाहर है। इसके बावजूद वायु व ध्वनि दोनों तरह का प्रदूषण बढ़ा है। लगातार बढ़ रही आबादी और वाहनों का शोर इसकी प्रमुख वजह है। हर साल करीब 20 हजार नए वाहन आरटीओ दफ्तर में पंजीकृत हो रहे हैं। स्थिति इसी तरह नियंत्रण से बाहर होती गई तो भविष्य सेहत पर बुरा असर पड़ेगा।
तीन माह का प्रदूषण
जगह - जून - जुलाई - अगस्त
नैनीताल - 62.1 - 59.4 - 57.9
बीयरशीबा हल्द्वानी - 58.2 - 57.4 - 60.4
तिकोनिया हल्द्वानी - 64.6 - 62.8 - 66.1
नोट-ध्वनि प्रदूषण डेसीबल में, आंकड़े पीसीबी की वेबसाइट से लिए गए हैं
काशीपुर में एमपी चौक का हाल बुरा
काशीपुर में तीन जगहों पर ध्वनि प्रदूषण रिकार्ड किया जाता है। यहां वाहनों खासकर कामर्शियल गाड़यों की संख्या ज्यादा होने के साथ औद्योगिक क्षेत्र भी है। सरकारी अस्पताल क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर हल्द्वानी से थोड़ा कम है। लेकिन एमपी चौक यानी व्यस्त जगह पर स्थिति खराब है। एमपी चौक पर जून में 87, जुलाई में 89 और अगस्त में 88 डेसीबल प्रदूषण दर्ज हुआ।
सुनने की क्षमता पर असर व स्वभाव में बदलाव
ध्वनि प्रदूषण का स्तर 90 डेसीबल पहुंचने पर सुनने की क्षमता पर काफी असर पड़ता है। स्वभाव में चिड़चिड़ापन और तनाव की स्थिति बनती है। इसके अलावा हाई ब्लडप्रेशर की समस्या से भी गुजरना पड़ता है।
हल्द्वानी में तीन व नैनीताल में एक जगह ध्वनि प्रदूषण को रिकार्ड किया जाता है। हल्द्वानी और नैनीताल में ध्वनि प्रदूषण की मुख्य वजह वाहनों की बढ़ती संख्या है।
-डीके जोशी, क्षेत्रीय प्रबंधक पीसीबी