जमरानी बांध के लिए नहीं मिली पर्यावरण स्वीकृति, मंत्रालय ने कमियां दुरुस्त करने को कहा
जमरानी बांध परियोजना को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से पर्यावरण स्वीकृति सोमवार को दिल्ली में हुई बैठक में नहीं मिल पाई।
हल्द्वानी, जेएनएन : जमरानी बांध परियोजना को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से पर्यावरण स्वीकृति सोमवार को दिल्ली में हुई बैठक में नहीं मिल पाई। मंत्रालय ने कुछ कमियां दूर करने के बाद रिपोर्ट मांगी है। राज्य के अफसर अगले एक सप्ताह के भीतर कमियां दूर कर पर्यावरण स्वीकृति लेने के प्रयास में जुटने का दावा कर रहे हैं।
जमरानी बांध परियोजना के निर्माण में 2584.6 करोड़ रुपये का खर्च आना है। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले बहुप्रतिक्षित परियोजना को लेकर सरकार से लेकर सिंचाई विभाग के अफसर काफी कसरत में लगे रहे। 11 फरवरी को केंद्रीय जल अयोग की तकनीकि कमेटी ने इस परियोजना की स्वीकृति दे दी है। इसके अलावा राज्य सरकार ने वन विभाग को हस्तांरण के लिए पहली किस्त के तौर पर 42 करोड़ रुपये व दूसरी किस्त में 47 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं। सिंचाई विभाग डूब क्षेत्र में आने वाले लोगों का फिर से चिह्नीकरण कर सर्वे भी कर रहा है। इसके अलावा पुराने सर्वे के अनुसार ऊधमसिंह नगर की 500 एकड़ जमीन पराग फार्म या खुरपिया फार्म में विस्थापन के लिए राज्य सरकार से मांगी गई है। हालांकि वर्तमान सर्वे के बाद जमीन की मांग घट या बढ़ भी सकती है। इधर, सोमवार को पर्यावरण स्वीकृति के लिए राज्य व केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अफसरों की अहम बैठक दिल्ली में हुई।
अफसरों के मुताबिक मंत्रालय के अफसर उनकी रिपोर्ट से संतुष्ट रहे। हालांकि उन्होंने कुछ बिंदुओं पर और विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इसमें डिस्पोजल प्लान, निर्माण के लिए सामान कहां से आएगा आदि बिंदुओं पर रिपोर्ट देने को कहा गया है। राज्य के अफसरों ने एक सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट देने का आश्वासन देकर कंडीशनल पर्यावरण स्वीकृति देने के लिए कहा। इस बैठक में राज्य की ओर से सिंचाई विभाग के विभाध्यक्ष मुकेश मोहन, अधीक्षण अभियंता संजय शुक्ल, अधिशासी अभियंता जावेद अनवर व सहायक अभियंता संजय सिंह मौजूद रहे।