पिछले साल भूस्खलन की जद में आए परिवारों को नहीं हुआ विस्थापन, बारिश में घर के बाहर समय बिताने को मजबूर
परिवारों का कहना है कि प्रशासन उनकी सुध नहीं ले रहा। बारिश होते ही खतरे की जद में आए परिवार अनहोनी की आशंका से डर जाते हैं। रात में बारिश होने पर परिवार के लोग बाहर निकल आते हैं।
जागरण संवाददाता, लोहाघाट (चम्पावत) : बाराकोट विकास खंड के गल्ला गांव के ग्रामीण बारिश होते ही अनहोनी की आशंका से सहम गए हैं। पिछले वर्ष 18 और 19 अप्रैल को आई आपदा के दौरान गांव में भूस्खलन होने से कई मकान खतरे की जद में आ गए थे।
तब प्रशासन ने कुछ ग्रामीणों को इनके आवासीय भवनों से हटाकर गांव के विद्यालय में शरण दी थी। भू वैज्ञानिकों के निर्देश पर प्रशासन ने इनके विस्थापन का आश्वासन भी दिया था। लेकिन एक साल पूरा होने के बाद भी इनका विस्थापन नहीं हो सका है। इससे पीडि़त परिवारों में आक्रोश है।
पीडि़त परिवारों का कहना है कि पुन: बरसात का मौसम आ चुका है। लेकिन प्रशासन उनकी सुध नहीं ले रहा है। बारिश शुरू होते ही खतरे की जद में आए परिवार अनहोनी की आशंका से डर जाते हैं। रात में बारिश होने पर परिवार के लोग बाहर निकल आते हैं।
उनका कहना है कि वह जिस स्थान पर रह रहे हैं उसे प्रशासन और भू वैज्ञानिकों की टीम ने बेहद संवेदनशील माना है। पिछले साल प्रशासन ने उन्हें सुरक्षित जगह विस्थापित करने का निर्णय तो ले लिया लेकिन उसपर अमल नहीं किया। सोमवार को हुई बारिश से ग्रामीण काफी डर गए और घरों से बाहर निकल आए। लोगों ने आंगन में आई दरार को तिरपाल से ढककर आपदा को टालने की कोशिश की।
उन्हें डर है कि सीजन की पहली बारिश इनके लिए आफत की बारिश न बन जाए। ग्रामीण मोहन सिंह, भूपाल सिंह, त्रिलोक सिंह, दलीप सिंह, भूपाल सिंह, कल्याण सिंह, रमेश सिंह, भगवान सिंह, वजीर सिंह, रंजीत सिंह, विक्रम सिंह, उदय सिंह के आवासीय भवनों को खतरा बना हुआ है। हेमा देवी, पुष्पा बोहरा, शोभा बोहरा, नीमा बोहरा, भागीरथी देवी देवी ने बताया कि वह ईश्वर से अनहोनी टालने की प्रार्थना कर रही हैं। पीडि़त परिवारों ने प्रशासन से उनकी समस्या का स्थाई हल निकालने की मांग की है।
लोहाघाट के तहसीलदार विजय गोस्वामी ने बताया कि आपदा प्रभावित परिवारों को विस्थापित करने की कार्रवाई उपचुनाव के बाद की जाएगी। लगभग 18 परिवार खतरे की जद में हैं। प्रशासन द्वारा सुरक्षित स्थानों पर रहने के लिए इन्हें किराया भी दिया जा रहा है। सभी को सुरक्षित स्थानों में ही रहने के निर्देश पहले ही दिए गए हैं।