World Environment Day : रामगंगा के किनारे तीस हेक्टेयर में बनाया नया जंगल, पुराने को भी कर रहे संरक्षित
रामगंगा के किनारे तीस हेक्टेयर में महिलाओं ने नया वन तैयार कर दिया है। इनकी कर्मठता से जिले का यह पहला जंगल है जहां विगत पंद्रह वर्षों से आज तक आग की एक भी घटना नहीं घटी।
पिथौरागढ़, ओपी अवस्थी। रामगंगा नदी घाटी क्षेत्र में थल-मुनस्यारी मोटर मार्ग से सटे रसियाबगड़ और भैंसखाल गांवों की महिलाओं ने जंगल नहीं होने का दर्द झेला है। जानवरों के लिए चारा जुटाने को महिलाएं पंद्रह किमी दूर जंगलों में जाती थीं। सारा दिन चारा जुटाने में बीत जाता था। नदी घाटी के गांव होने से गर्मियों में हवा तक के लिए तरसने वाली महिलाओं ने जंगल बचाने के साथ नए जंगल बनाने का संकल्प लिया। पुरुषवादी सोच वाले समाज को आइना दिखाने के लिए वन पंचायतों की जिम्मेदारी खुद संभाली। महिला सरपंच चुन कर जो कर दिखाया वह आज मिसाल बन चुका है। रामगंगा नदी के किनारे तीस हेक्टेयर में पौधरोपण कर नया वन तैयार कर दिया है। साथ ही पुराने जंगल को भी संरक्षित कर रहीं हैं। इनकी कर्मठता से जिले का यह पहला जंगल है जहां विगत पंद्रह वर्षों से आज तक आग की एक भी घटना नहीं घटी है। महिलाएं पूरे ग्रीष्मकाल में रात, दिन जंगल की रक्षा के लिए पहरा देती हैं।
अब चारे के लिए समृद्ध हैं दोनों गांव
आज दोनों गांव चारे को लेकर समृद्ध हैं। महिलाओं ने चारे के लिए दोहरा लाभ देने वाले पौधो का पौधरोपण किया, जिसमें भीमल, क्वैराल, शहतूत शामिल हैं। क्वैराल से जहां सब्जी मिलती है वहीं शहतूत के फल खाने को मिलते हैं।
महिलाओं का साल भर का संकल्प
-मनरेगा के तहत जंगल की सुरक्षा के लिए दीवारबंदी
- खाली पड़ी भूमि पर पौधरोपण
- पर्यावरण संरक्षण को लेकर बैठकों का आयोजन
- प्रमुख पर्वों पर पौधरोपण
- प्राकृतिक जलस्रोतों का संरक्षण एवं संवद्र्धन
जंगल हैं तो सबकुछ है
महिला सरपंच रसियाबगड़ तुलसी देवी, सरपंच भैंसखाल द्रौपदी देवी सहित चंद्रकला दानू, पुष्पा देवी, तुलसी, गोदावरी देवी, खीमा देवी, पनुली देवी एक संयुक्त प्रयास की सशक्त हस्ताक्षर हैं। इनका कहना है कि जंगल है तो सब कुछ है। जिन गांवों के पास अपना जंगल हैं वहां कभी भुखमरी नहीं हो सकती है
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