राज्य आंदोलनकारियों के मामले में नयी बेंच गठित
राज्य आंदोलनकारियों के मामले में चली मैराथन सुनवाई के बाद आज हाईकोर्ट की तीसरी बेंच ने निर्णय सुरक्षित रख लिया है।
नैनीताल, [जेएनएन]: उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को नौकरी में क्षैतिज आरक्षण देने के मामले में चली मैराथन सुनवाई के बाद आज हाईकोर्ट की तीसरी बेंच ने निर्णय सुरक्षित रख लिया है। इस मामले में पिछले तीन दिन से लगातार दिन भर सुनवाई चलती रही। आज कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर ली है और निर्णय सुरक्षित रख लिया।
हाईकोर्ट की ओर से इस मामले में तीसरी बेंच का गठन किया गया है। दो जजों की पीठ पहले ही इस मामले में अलग अलग निर्णय दे चुकी हैं। मुख्य न्यायाधीश केएम जोसफ की ओर से इस मामले में जुलाई में नयी बेंच का गठन किया गया था।
इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश लोकपाल सिंह की कोर्ट में हुई। सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर की ओर से राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण देने की वकालत की गयी, जबकि हाईकोर्ट की ओर से तैनात कोर्ट मित्र अरविंद वशिष्ठ की ओर से इस मामले के औचित्य पर सवाल उठाये गये।
मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने पिछले तीन दिन से लगातार इस मामले में दिन भर सुनवाई की। आखिरकार इस मामले निर्णय सुरक्षित रख लिया। उल्लेखनीय है कि राज्य आंदोलनकारी प्रदेश की सरकारी नौकरियों में दस फीसद क्षैतिज आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं। पिछली सरकार ने आंदोलनकारियों के लिए नौकरियों में दस फीसद आरक्षण की व्यवस्था कर दी थी।
सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी। हाईकोर्ट की एक सदस्यीय खंडपीठ ने सरकार को झटका देते हुए आरक्षण देने के प्रावधानों को खारिज कर दिया।
आंदोलनकारियों ने एकलपीठ के इस फैसले को चुनौती दी। मामले की सुनवाई दो सदस्यीय खंडपीठ में हुई। न्यायाधीश सुधांशु धूलिया व न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की खंडपीठ ने लम्बी सुनवाई के बाद 18 अप्रैल 2017 को इस मामले में निर्णय सुरक्षित रख लिया लेकिन 21 जून को दोनों न्यायाधीशों ने भिन्न भिन्न राय व्यक्त कर दी।
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