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तीस सालों से भारत के जंगल की सुरक्षा कर रहे हैं नेपाल निवासी करबीर कार्की

नेपाल सरकार भले ही सीमा विवाद को तूल दे रोटी-बेटी के संबंधों में दूरी बढ़ाने की कोशिश कर रही है। लेकिन वहां के लोगों का आज भी भारत से गहरा लगाव है। वन विभाग के वॉचर करबीर कार्की भी उन्हीं में से एक हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 11:43 AM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 11:43 AM (IST)
तीस सालों से भारत के जंगल की सुरक्षा कर रहे हैं नेपाल निवासी करबीर कार्की
वन विभाग के वॉचर करबीर कार्की तीस सालों से भारत के जंगल की सुरक्षा कर रहे हैं

हल्द्वानी, गोविंद बिष्ट : नेपाल सरकार भले ही सीमा विवाद को तूल दे रोटी-बेटी के संबंधों में दूरी बढ़ाने की कोशिश कर रही है। लेकिन वहां के लोगों का आज भी भारत से गहरा लगाव है। वन विभाग के वॉचर करबीर कार्की भी उन्हीं में से एक हैं। कोरोना संक्रमण के बीच नेपाल की सीमा सील हुई तो वह भारतीय वन विभाग की आंख बन गए। टनकपुर में शारदा नदी पार भारत के 50 हेक्टेयर जंगल की निगरानी उन्हीं के भरोसे है। बीच-बीच में वनकर्मी भी उफनाती शारदा नदी पार कर वहां पहुंचते हैं।

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कार्की 1990 से शारदा रेंज में बतौर वॉचर (अस्थायी कर्मचारी) के रूप में काम कर रहे हैं। वर्तमान स्थिति में वन विभाग का उनपर भरोसा और बढ़ गया है। असल में हल्द्वानी डिवीजन की शारदा रेंज भारत-नेपाल बार्डर से सटी है। टनकपुर में शारदा नदी पार करने के बाद नेपाल की तरफ भी भारतीय जंगल है, जिसका 50 मीटर लंबी फायरलाइन से सीमांकन किया गया है।

वन विभाग के मुताबिक पहले शारदा रेंज के वनकर्मी ब्रहृमदेव मंडी के रास्ते नेपाली वन समिति और स्थानीय पुलिस से अनुमति लेकर करीब दस किमी का सफर तय कर गाड़ी से गश्त के लिए पहुंचते थे। मगर अब पड़ोसी देश की सीमा सील होने से इस रास्ते का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा। ऐसे में वन विभाग के पास सिर्फ शारदा नदी पार करने का ही विकल्प बचा। इससे करमबीर कार्की को जंगल की निगरानी में और सतर्क किया गया। फोन से वन विभाग उनसे लगातार संपर्क में रहता है।

ट्यूब से एक किमी नदी का सफर

शारदा नदी में पत्थरों के कारण नाव का संचालन नहीं हो पाता। ऐसे में वनकर्मी ट्यूब के सहारे करीब एक किमी नदी पार कर दूसरे छोर के जंगल में पहुंचते हैं। नदी पार के जंगल में खैर, शीशम और कंजू प्रजाति के पेड़ ज्यादा है। लिहाजा, वन विभाग की टीम का खासा फोकस इस क्षेत्र में रहता है। रेंज स्तर से किराए पर राफ्ट लेकर भी वनकर्मी नदी पार पहुंचते हैं। हालांकि, सुकून वाली बात यह है कि अभी तक अवैध कटान जैसी कोई घटना सामने नहीं आई।

राफ्ट खरीदने का प्रस्‍ताव तैयार

डीएफओ हल्द्वानी वन प्रभाग कुंदन कुमार सिंह ने बताया क‍ि जरूरत को देखते हुए राफ्ट खरीदने का प्रस्ताव तैया किया गया है। नदी पार के क्षेत्र में एक नेपाली वॉचर भी लंबे समय से वन विभाग के लिए काम कर रहा है। जंगल की सुरक्षा को लेकर कोई कोताही नहीं बरती जाती।

लॉकडाउन में नेपाली नागरिकों की मदद

लॉकडाउन की शुरुआत के दौरान नेपाल ने पिथौरागढ़ जिले की सीमा से लगे अपने गेटों को बंद कर दिया था। जिस वजह से सैकड़ों की संख्या में नेपाली नागरिक फंस गए थे। हालांकि, पिथौरागढ़ प्रशासन ने इनकी भरपूर मदद की। इन्हें धारचूला, झूलाघाट, जौलजीवी आदि जगहों पर बने स्कूलों में ठहराने व खाने का पूरा इंतजाम किया गया था। स्थानीय प्रशासन की व्यवस्था ने नेपालियों को परेशान नहीं होना दिया।


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