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Uttarakhand : काली नदी किनारे नेपाल ने बड़े क्षेत्र में बनाया तटबंध, भारतीय क्षेत्र में बढ़ा दबाव

काली नदी किनारे नेपाल ने बड़े क्षेत्र में तटबंध निर्माण कर दिए हैं। इससे नदी के जलस्तर बढ़ते ही बहाव भारत की तरफ होने लगता है। बलुवाकोट में नदी ने 2013 में तबाही मचाई थी। बाद में यहां पर तटबंध बनाए गए परंतु तटबंध अधिक समय तक नहीं टिक पाए।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 20 May 2022 07:57 AM (IST)Updated: Fri, 20 May 2022 07:57 AM (IST)
Uttarakhand : काली नदी किनारे नेपाल ने बड़े क्षेत्र में बनाया तटबंध, भारतीय क्षेत्र में बढ़ा दबाव
ली नदी किनारे नेपाल ने बड़े क्षेत्र में तटबंध निर्माण कर दिए हैं।

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : भारत और नेपाल के बीच सीमा रेखा बनाने काली नदी किनारे नेपाल ने बड़े क्षेत्र में तटबंध निर्माण कर दिए हैं। इससे नदी के जलस्तर बढ़ते ही बहाव भारत की तरफ होने लगता है। इससे भारतीय भू भाग में कृषि योग्य भूमि को नुकसान हो रहा है। जबकि भारतीय क्षेत्र में अभी बहुत कम स्थानों पर तटबंध का निर्माण हो सका है। धारचूला नगर के बचाव के लिए तटबंध निर्माण का कार्य चल रहा है।

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मानसून से पूर्व हो रही बारिश और उच्च हिमालय में सीजनल ग्लेशियरों के पिघलने से काली नदी का जल स्तर बढ़ता जा रहा है। मानसून से पूर्व ही काली नदी के रूप को देखकर भारत के ग्रामीण दहशत में है। ऐसे में मानसून काल में खतरा बढऩे के आसार हैं।

जिलाधिकारी पिथौरागढ़ डा. आशीष चौहान ने बताया कि काली नदी किनारे धारचूला में तटबंध निर्माण का कार्य तेजी के साथ चल रहा है। विभाग को मानसून से पूर्व तटबंध निर्माण का कार्य पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। अन्य स्थानों पर भी सुरक्षात्मक कार्यो के लिए सिंचाई विभाग को कहा गया है।

बलुवाकोट, हंसेश्वर , द्वालसेरा में नहीं है तटबंध

काली नदी किनारे स्थित बलुवाकोट, हंसेश्वर और द्वालीसेरा में तटबंध निर्माण आवश्यक हैं। बलुवाकोट में काली नदी ने 2013 में तबाही मचाई थी। बाद में यहां पर तटबंध बनाए गए परंतु तटबंध अधिक समय तक नहीं टिक पाए और क्षतिग्रस्त हो गई। वर्तमान में बलुवाकोट के लिए आसन्न संकट बना है। तल्लाबगड़ के हंसेश्वर क्षेत्र में भी काली नदी का बहाव भारत की तरफ है। यहां दो दिन पूर्व काली नदी के बहाव से निर्माण सामग्री बह गई थी। द्वालीसेरा में भी खतरा बना है।

सबसे उपजाऊ क्षेत्र को सबसे बड़ा खतरा

काली नदी घाटी वाला क्षेत्र सबसे उपजाऊ क्षेत्र है। यहां पर बगड़ीहाट, तीतरी, द्वालीसेरा जैसे मैदान हैं । जहां पर रबी और खरीफ दोनों फसलें व्यापक रू प सेे उगाई जाती हैं। काली नदी द्वारा भूमि काटे जाने से कृषि क्षेत्र घटता जा रहा है।

जौलजीबी में गोरी नदी से तीन सौ परिवारों को खतरा

जौलजीबी में काली और गोरी नदी का संगम होता है। यहां पर गोरी नदी के किनारे तटबंध निर्माण नहीं हुआ है। गोरी नदी किनारे तीन सौ परिवार रहते हैं। गोरी नदी का जलस्तर भी काली नदी की तरह ही बढ़ता जा रहा है। जौलजीबी की जनता लगातार तटबंध निर्माण की मांग कर रही है। मानसून काल में गोरी नदी का जल बस्ती तक पहुंच जाता है। ग्रामीण रात भर जाग व्यतीत करते हैं।


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