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खरीद में लापरवाही पीपीई किट की जांच ठंडे बस्ते में

ोरोना जैसी महामारी में पीपीई किट खरीद में घोर लापरवाही के बावजूद प्रदेश के जिम्मेदार अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। मामला राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी का है। महंगे दाम पर घटिया क्वालिटी के एक हजार पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट (पीपीई) किट खरीद का ऑर्डर भी हो चुका था। एक महीना बीत जाने के बाद जांच ही ठंडे बस्ते में चली गई है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 May 2020 04:17 AM (IST)Updated: Sun, 24 May 2020 06:07 AM (IST)
खरीद में लापरवाही पीपीई किट की जांच ठंडे बस्ते में
खरीद में लापरवाही पीपीई किट की जांच ठंडे बस्ते में

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : कोरोना जैसी महामारी में पीपीई किट खरीद में घोर लापरवाही के बावजूद प्रदेश के जिम्मेदार अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। मामला राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी का है। महंगे दाम पर घटिया क्वालिटी के एक हजार पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट (पीपीई) किट खरीद का ऑर्डर भी हो चुका था। एक महीना बीत जाने के बाद जांच ही ठंडे बस्ते में चली गई है।

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कोरोना के चलते अचानक पीपीई किट की डिमांड बढ़ गई थी। ऐसे में राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी की परचेज कमेटी ने देहरादून की ऐसी कंपनी को ऑर्डर दे दिया, जिसके बनाए पीपीई किट किसी भी मानक में फिट नहीं थे। जैसे ही किट कॉलेज की केंद्रीय औषधि भंडार में पहुंचे और डॉक्टरों ने चेक किया तो होश उड़ गए। डॉक्टरों ने इस तरह के घटिया किट पहनने से इन्कार कर दिया था। इसके बाद प्राचार्य डॉ. सीपी भैंसोड़ा ने तकनीकी कमेटी गठित कर 27 मार्च, 2020 को जारी किया आर्डर 15 अप्रैल को निरस्त कर दिया था। इसके बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की ओर से घटिया किट मामले में कड़ी कार्रवाई का बयान भी आया, लेकिन एक महीने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। वहीं औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह ने भी जांच की बात कही थी।

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किट में थी ये कमियां

-चश्मे मानकों के अनुरूप नहीं थे

-किट में नेट्रिल ग्लब्स भी नहीं थे

-मानक विपरीत केवल एक जोड़ी लेट्रिक्स ग्लब्स भेजे

-गमबूट का शू कवर नहीं था

-डागरी की जिप में कवर नहीं था

-सूट की सिलाई कई जगहों से उधड़ी थी

-सूट को डिस्पोज करने वाला पॉलीथिन पैक बहुत छोटा

- इस पैसे से डिस्पोजल होना संभव नहीं था

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900 रुपये प्रति किट थे दाम

दून की जिस कंपनी को ऑर्डर दिया गया था, उसने 900 रुपये प्रति किट उपलब्ध कराई थी। जबकि कई अन्य कंपनियों के प्रतिनिधि भी कॉलेज प्रबंधन की परचेज कमेटी के पास गए थे। इस कंपनी से सस्ते और गुणवत्तायुक्त किट दिए जाने की बात कही गई थी।

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मेडिकल कॉलेज के लोकल परचेज पर लगाई थी आपत्ति

घटिया क्वालिटी के पीपीई किट खरीद प्रकरण के बाद चिकित्सा शिक्षा सचिव नितेश झा ने मेडिकल कॉलेज के लोकल परचेज पर रोक लगा दी थी। अब सीधे डीजी हेल्थ कार्यालय से पीपीई किट उपलब्ध हो रही हैं। अब आपूर्ति हो रही किट से डॉक्टर संतुष्ट हैं।

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टेंडर प्रक्रिया के तहत ही परचेज ऑर्डर दिया था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से सैंपल की जांच नहीं हो सकी थी। बाद में सैंपल जांच होने के बाद ऑर्डर को निरस्त कर दिया गया।

प्रो. सीपी भैंसोड़ा, प्राचार्य, राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी

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मेडिकल कॉलेज का दूसरा विभाग है। इसलिए उनकी खरीद प्रक्रिया से मेरा कोई हस्तक्षेप नहीं है। कॉलेज चिकित्सा शिक्षा विभाग में हैं।

डॉ. अमिता उप्रेती, डीजी हेल्थ

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कोरोना वॉरियर्स को लेकर किसी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। इस संबंध में उन्होंने पहले भी सीएम से बात की है। इस मामले को लेकर वह फिर सीएम के सामने पूरे प्रकरण को रखेंगे। गड़बड़ी होने पर कार्रवाई भी होगी।

बंशीधर भगत, प्रदेश अध्यक्ष भाजपा


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