Allweather Road के मलबे में दफन हो गए कई प्राकृतिक पेयजल स्रोत
llweather Road के निर्माण से पिथौरागढ़ जिले की जनता को बेहतर आवागमन की सुविधा जरूर मिलेगी लेकिन मलबे के मनमाने निस्तारण से प्राकृतिक पेयजल स्रोत खतरे में आ गए हैं। इन स्रोतों के मलबे में दफन हो जाने से न केवल पेयजल का संकट खड़ा होने लगा है!
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़ : Allweather Road के निर्माण से पिथौरागढ़ जिले की जनता को बेहतर आवागमन की सुविधा जरूर मिलेगी, लेकिन मलबे के मनमाने निस्तारण से प्राकृतिक पेयजल स्रोत खतरे में आ गए हैं। इन स्रोतों के मलबे में दफन हो जाने से न केवल पेयजल का संकट खड़ा होने लगा है, बल्कि खेतों तक पानी पहुंचना भी बंद हो गया है।
धमौड़ से घाट तक बनाई गई आलवेदर सड़क की चौड़ाई दोगुनी कर दी गई है। इसके लिए चट्टानें काटी गईं। नियम तय था कि चट्टानों का मलबा डंपिंग जोन में ही डाला जाएगा, लेकिन एनएच ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। मलबे को मनमाने ढंग से खाई की ओर उड़ेल दिया गया। इससे गुरना से घाट तक करीब आधा दर्जन पेयजल स्रोत मलबे में दफन हो गए और आठ सिंचाई योजनाएं क्षतिग्रस्त हो गईं।
गुरना मंदिर, चूलाकोट, जात्यागौना, खड़कूभल्या, मेलपाटा के पेयजल स्रोत मलबे में दब जाने से अब गांवों तक पानी नहीं पहुंच रहा है। थरकोट झील के लिए पानी उपलब्ध कराने वाले प्राकृतिक स्रोत भी मलबे की चपेट में आ गए हैं। इससे निर्माणाधीन झील के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध होने की उम्मीद पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
ग्रामीण संघर्ष समिति के अध्यक्ष राजेंद्र भट्ट ने कहा कि पेयजल स्रोतों को बचाने के लिए एनएच से कई बार गुहार लगाई गई। प्रशासन के सामने भी इस मामले को रखा गया, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया। स्रोत दब जाने से क्षेत्र का पर्यावरण संतुलन तो प्रभावित होगा ही साथ ही बड़ी आबादी को पेयजल संकट की समस्या भी झेलनी पड़ेगी।
पीएल चौधरी, सहायक अभियंता एनएच ने बताया कि मलबे का निस्तारण नियमानुसार ही किया गया है। कुछ छोटे स्रोत प्रभावित हुए हैं। गुरना क्षेत्र के बड़े स्रोत को प्रभावित नहीं होने दिया गया। जो सिंचाई गूल क्षतिग्रस्त हुई हैं, उनका पुनर्निर्माण कराया जाएगा।