National Handloom Day 2022 : खादी को कायम रखने में अहम भूमिका निभा रहे बुनकर, कोविड की मंदी के बाद फिर बढ़ी डिमांड
National Handloom Day 2022 पहले से संकट झेल रही खादी पर कोरोना काल में भारी मार पड़ी। धीरे सही खादी व ग्रामोद्योग से जुड़े उत्पादों की बिक्री बढऩे लगी है। उम्मीद रूपी हौसला आधुनिकता के दौर में भी सैकड़ों बुनकरों को सुनहरे सपने बुनने की ताकत दे रहा है।
गणेश पांडे, हल्द्वानी : National Handloom Day 2022 : खादी (Khadi) के प्रति लगाव बना हुआ है। पहले से संकट झेल रही खादी पर कोरोना काल में भारी मार पड़ी। बुनकरों का जज्बा, कर्मठता खादी को फिर से संबल देने का काम कर रही है। धीरे सही, खादी व ग्रामोद्योग से जुड़े उत्पादों की बिक्री बढऩे लगी है।
1260 कामगारों की रोजी हथकरघा उद्यम से
उम्मीद और हौसला आधुनिकता के दौर में भी सैकड़ों बुनकरों को सुनहरे सपने बुनने की ताकत दे रहा है। हल्द्वानी क्षेत्रीय गांधी आश्रम के तहत आने वाले जसपुर व फतेहपुर उत्पादन इकाइयों में 1260 कामगारों की रोजी हथकरघा उद्यम से चल रही है।
नैनीताल व ऊधम सिंह नगर जिले में 28 शोरूम
हल्द्वानी क्षेत्रीय गांधी आश्रम 1978 में मुरादाबाद गांधी आश्रम से अलग होकर अस्तित्व में आया था। खादी को लेकर लोगों में ऐसा रुझान था कि 1992 में हल्द्वानी से अलग होकर चनौदा व गौचर गांधी आश्रम बने। हल्द्वानी गांधी आश्रम के तहत नैनीताल व ऊधम सिंह नगर जिले में 28 शोरूम हैं।
इन उत्पादों को करते हैं तैयार
फतेहपुर व जसपुर इकाइयों में ऊन व पाली से कंबल, थुलमा, गद्दा, चादर, तौलिया, शर्ट, सूट, स्वेटर, आसन व ग्रामोद्योग में धूप, अगरबत्ती, साबुन, तेल, मसाले, शहद आदि उत्पादित होता है। कोरोना काल में खादी उत्पादों की बिक्री 85 लाख रुपये कम हो गई थी। पिछले वर्ष इसमें 17 लाख की तेजी दिखी। गांधी आश्रम से जुड़े कर्मचारी कहते हैं कि लोग स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दें तो बुनकरों को अधिक काम मिलने से आमदनी बढ़ेगी।
सात वर्षों में बिक्री (करोड़ में)
2015-16 9.16
2016-17 7.97
2017-18 8.31
2018-19 7.65
2019-20 7.22
2020-21 6.37
2021-22 6.54
प्रदेश सरकार पर दो करोड़ बकाया
गांधी जयंती से तीन माह तक खादी उत्पादों पर प्रदेश सरकार छूट देती है। वर्ष 2019-20, 20-21 व 21-22 का करीब दो करोड़ रुपये सरकार पर बकाया है। हल्द्वानी गांधी आश्रम के सचिव दीप जोशी कहते हैं कि बकाया नहीं आने से कच्ची सामग्री खरीदकर बुनकरों को नहीं दे पा रहे हैं।