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नैनीताल में ठंड बढ़ने से चिड़ियाघर के जानवर भी त्रस्त, जू प्रबंधन ने बदली डाइट

सरोवर नगरी में इस बार समय से पहले पड़ रही ठंड इंसानों को ही नहीं जानवरों को भी सताने लगी है। उन्हें इससे राहत दिलाने के लिए जू प्रबंधन ने वन्य जीवों के खान-पान के साथ ही उनके रहन-सहन में बदलाव किया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 08:33 PM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 08:33 PM (IST)
नैनीताल में ठंड बढ़ने से चिड़ियाघर के जानवर भी त्रस्त, जू प्रबंधन ने बदली डाइट
नैनीताल में ठंड बढ़ने से चिड़ियाघर के जानवर भी त्रस्त, जू प्रबंधन ने बदली डाइट

नैनीताल, नरेश कुमार : सरोवर नगरी में इस बार समय से पहले पड़ रही ठंड इंसानों को ही नहीं जानवरों को भी सताने लगी है। उन्हें इससे राहत दिलाने के लिए जू प्रबंधन ने वन्य जीवों के खान-पान के साथ ही उनके रहन-सहन में बदलाव किया है। जू के जीवों को गर्म तासीर का भोजन देने के साथ ही ब्लोअर के सहारे ठंड से राहत पहुंचाई जा रही है।

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गोविंद बल्लभ पंत उच्चस्थलीय प्राणी उद्यान में 231 वन्यजीवों के साथ ही 33 प्रजातियों के 95 प्राणी संरक्षित हैं। हर साल जाड़े के दस्तक देते ही पक्षियों के आहार में लहसुन, प्याज और अन्य गर्म तासीर वाले भोजन की मात्रा बढ़ा दी जाती है। शहर में बढ़ती ठंड को देखते हुए अब अन्य प्राणियों के आहार में भी गर्म तासीर वाले भोजन और प्रोटीन की मात्रा बढ़ा दी गई है।

भालू को गुड़, शहद तो फिजेंट को दिया जा रहा अंडे का चूरा

जू प्रभारी अजय रावत ने बताया कि चिडिय़ाघर में अधिकांश प्राणी ठंडे क्षेत्रों के ही हैं। जंगल में तो प्राणी कई प्राकृतिक वनस्पतियों और अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन कर ठंड से बचाव करते है, लेकिन जू में उसे न तो जंगल जैसा परिवेश मिल पाता है और न ही वैसा प्राकृतिक आहार। इसे देखते हुए प्राणियों के आहार में गर्म तासीर वाला भोजन शामिल किया जाता है। उन्होंने बताया कि ठंड से राहत देने के लिए भालू और रेड पांडा के आहार में गुड़ और शहद शामिल कर दिया गया है। इसके अलावा फिजेंट व अन्य पक्षियों को हरी सब्जियों के साथ ही लहसुन, प्याज और अंडे का चूरा दिया जा रहा है।

बाड़ों को तिरपाल से ढका

जू में मौजूद प्राणियों को ठंड से निजात दिलाने के लिए अन्य वैकल्पिक बदलाव भी किए गए हैं। अजय रावत ने बताया कि पक्षियों के बाड़ों को गर्म रखने के लिए अंदर बल्ब लगाए गए हैं। बाड़ों को तिरपाल से भी ढका गया है। बंगाल टाइगर व रेड पांडा के लिए ब्लोअर का उपयोग किया जा रहा है। काकड़, घुरड़ व अन्य जीवों के बाड़ों में चौड़े पत्ते वाले हल्दू बिछाए गए हैं।


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