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नैनो टेक्नोलॉजी से होगा नैनीताल का कूड़ा प्रबंधन

सरोवर नगरी में नैनो टेक्नोलॉजी से कूड़ा प्रबंधन किया जाएगा। नगरपालिका ने कुमाऊं विवि के नैनो टेक्नोलॉजी नैनो साइंस सेंटर को इस प्रोजेक्ट के लिए सहमति प्रदान कर दी है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 12:36 PM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 08:45 PM (IST)
नैनो टेक्नोलॉजी से होगा नैनीताल का कूड़ा प्रबंधन
नैनो टेक्नोलॉजी से होगा नैनीताल का कूड़ा प्रबंधन

किशोर जोशी, नैनीताल। सरोवर नगरी में नैनो टेक्नोलॉजी से कूड़ा प्रबंधन किया जाएगा। नगरपालिका ने कुमाऊं विवि के नैनो टेक्नोलॉजी नैनो साइंस सेंटर को इस प्रोजेक्ट के लिए सहमति प्रदान कर दी है। प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 50 लाख बताई जा रही है। पालिका जैविक-अजैविक कूड़े को अलग कर इसे सेंटर में बने प्लांट में भेजेगा, जहां जैविक यानि प्लास्टिक के कूड़े को रिसाइकिल कर उससे ग्राफीन बनाया जाएगा। पालिका क्षेत्र में रोजाना करीब 12 से 14 टन कूड़ा एकत्र होता है, जिसे वाहनों में भरकर हल्द्वानी गौलापार भेजा जा रहा है। एनजीटी के आदेश पर हल्द्वानी रोड पर कूड़ा खड्ड में कूड़ा फेंकने पर रोक लगाने के बाद पालिका को हर माह सात-आठ लाख रुपये कूड़ा ढुलान में खर्च करना पड़ रहा है। पालिका ईओ रोहिताश शर्मा ने बताया कि कुमाऊं विवि के सेंटर के समन्वयक प्रो. नंदगोपाल साहू ने प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए सहमति पत्र मांगा था, जिसे पालिका ने स्वीकार कर लिया है। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को भेजा जाएगा प्रोजेक्ट पिछले दिनों वेस्ट प्लास्टिक से ग्राफीन बनाने में सफलता हासिल करने पर कुमाऊं विवि के प्रो. एनजी साहू को भारत सरकार ने सम्मानित किया था।

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आइआइटी चेन्नई में आयोजित हुए समारोह में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण जलवायु परितर्वन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने विवि के नैनो साइंस व टेक्नोलॉजी सेंटर की रिसर्च को बेहद सराहा था। साथ ही प्रोजेक्ट भेजने का आग्रह किया था। बताया जाता है कि इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत नैनीताल के कूड़े-कचरे का प्रबंधन किया जाएगा। ईओ के अनुसार इस प्रोजेक्ट में पालिका के पूर्व के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के अंतर्गत क्रय किए गए उपकरणों व वाहनों का भी उपयोग किया जाएगा। जैविक-अजैविक कूड़ा अलग-अलग एकत्र करने के अलावा प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रोजेक्ट के अंतर्गत संचालित होंगे। नैनो टेक्नोलॉजी से कूड़े को रिसाइकिल किया जाएगा। प्रोजेक्ट में लग सकता है समय पालिका की सहमति के बाद इस प्रोजेक्ट को मंजूरी के लिए लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। यही वजह है कि प्रो. साहू ने इस मामले में किसी तरह की टिप्पणी से इन्कार किया है। साथ ही कहा कि प्रोजेक्ट मंजूरी तक वह किसी तरह की टिप्पणी नहीं करेंगे।

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