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Swachh Survekshan 2021 : सालाना 22 करोड़ खर्च करने के बाद भी सफाई में पिछड़े Nagar Nigam Haldwani

Swachh Survekshan 2021 इस बार के स्वच्छता सर्वेक्षण की सूची में हल्द्वानी 281वें नंबर पर दर्ज है। कुमाऊं का प्रवेश द्वार कहलाने वाला यह शहर सफाई के मामले में पिछले वर्ष की अपेक्षा 52 पायदान नीचे पहुंच गया।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 09:22 AM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 09:22 AM (IST)
Swachh Survekshan 2021 :  सालाना 22 करोड़ खर्च करने के बाद भी सफाई में पिछड़े Nagar Nigam Haldwani
Swachh Survekshan 2021 : सालाना 22 करोड़ खर्च करने के बाद भी सफाई में पिछड़े Nagar Nigam Haldwani

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: Swachh Survekshan 2021 : इस बार के स्वच्छता सर्वेक्षण की सूची में हल्द्वानी 281वें नंबर पर दर्ज है। कुमाऊं का प्रवेश द्वार कहलाने वाला यह शहर सफाई के मामले में पिछले वर्ष की अपेक्षा 52 पायदान नीचे पहुंच गया। शहर की यह स्थिति तब है, जब सफाई के नाम पर 22 करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च हो जाती है। इच्छाशक्ति और प्रभावी निगरानी तंत्र के अभाव में नियमित व अस्थायी कर्मचारियों की लंबी फौज शहर की सूरत नहीं संवार पा रही। अपने शहर की सफाई के मामले में पिछडऩे व शहरवासियों को सफाई के लिए प्रेरित करने की पड़ताल की आखिरी कड़ी में कमियां उजागर करती विशेष रिपोर्ट-

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सफाई में पिछडऩे की पांच प्रमुख वजह

1. अफसर निरीक्षण नहीं करते

शहर का दायरा बढ़कर 60 वार्ड का हो चुका है। इसकी निगरानी के लिए केवल दो सफाई निरीक्षक कार्यरत हैं। इतने बड़े दायरे में नियमित रूप से निगरानी करना अफसरों के लिए संभव नहीं हो पाता। पिछले दिनों आयुक्त ने एसएनए को वार्डों के निरीक्षण के निर्देश दिए। यह व्यवस्था कुछ दिन चली।

2. जिम्मेदारों का जवाब-तलब नहीं

शहर के किसी वार्ड में अगर गंदगी की समस्या लगातार बनी हुई है और बार-बार शिकायत आती है तो अधिकारी जिम्मेदार का जवाब तलब नहीं करते। कई बार कार्रवाई होती भी है तो कर्मचारी संगठन अधिकारियों को दबाव में लेने लगते हैं।

3. निगरानी की जिम्मेदारी तय नहीं

स्वच्छता को लेकर नियमित जागरूकता नहीं चलती। स्वच्छता सर्वे से पहले औपचारिकता भर के लिए अभियान चलता है। गली-मोहल्लों में सफाई रखने, आसपास गंदगी फैलाने वालों की निगरानी व दंडित करने जैसी जिम्मेदारी तय नहीं है।

4. प्रतिस्पर्धा जैसा वातावरण नहीं

शहर की साफ कालोनियों को प्रोत्साहित, सम्मानित करने जैसी पहल नहीं दिखती। ऐसी कालोनियों का प्रचार-प्रसार कर दूसरों के बीच प्रतिस्पर्धा का वातावरण तैयार नहीं हो पाता। ऐसे में बेहतरीन कार्य करने वाले भी हतोत्साहित होते हैं।

5. गंदगी रोकने को ठोस कदम नहीं

खाली प्लांट, पार्कों, खुली जगहों पर कचरा डालना प्रतिबंधित के बोर्ड जरूर लगे हैं, लेकिन यहां फिर भी गंदगी के ढेर नजर आते हैं। ऐसे कचरा घरों को समाप्त करने के ठोस कदम नहीं उठाए गए। वाहनों को कूड़ा नहीं देने वालों पर भी कार्रवाई नहीं होती।

(नोट : कमियों को हमने शहर के प्रबुद्धजनों व स्वच्छता की दिशा में कार्य कर रहे कार्यकर्ताओं के फीडबैक के आधार पर उभारा है।)

खास खास बातें

135 मीट्रिक टन कचरा रोज उगलता है शहर

252 मोहल्ला स्वच्छता समिति करती हैं कार्य

40 कर्मचारी उपनल, नाला गैंग के तहत कार्यरत

280 नियमित पर्यावरण मित्र नगर निगम में सेवारत

33 वार्डों से रोजाना डोर-टू-डोर होता है कूड़ा उठान

38 वाहनों के जरिये होता है कूड़े का उठान

02 सफाई निरीक्षकों पर निगरानी की जिम्मेदारी

निगरानी और कार्रवाई में रह गईं कमियां

वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. मनोज कांडपाल ने बताया कि स्वच्छता के मामले में निगरानी व कार्रवाई के स्तर पर कुछ कमियां हैं। निकट भविष्य मेंं इसे दूर कर प्रभावी तरीके से कार्य किया जाएगा। जन भागीदारी से स्वच्छता की मुहिम को सफल बनाने का प्रयास रहेगा।


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