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चीन सीमा पर बढ़ेगी भारत की ताकत, मुनस्यारी-धापा-मिलम मार्ग निर्माण का काम 75 फीसद पूरा

भारत-चीन सीमा पर भारत अगले वर्ष सामारिक दृष्टि से और मजबूत स्थिति में आ जाएगा। मार्च 2021 में भारत उत्तराखंड की सीमांत तहसील मुनस्यारी से चीन सीमा तक सड़क तैयार कर लेगा। 2008 में शुरू हुई 80 किमी की मुनस्यारी-धापा-मिलम सड़क का 75 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 07:27 AM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 07:27 AM (IST)
चीन सीमा पर बढ़ेगी भारत की ताकत, मुनस्यारी-धापा-मिलम मार्ग निर्माण का काम 75 फीसद पूरा
मार्च 2021 में भारत उत्तराखंड की सीमांत तहसील मुनस्यारी से चीन सीमा तक सड़क तैयार कर लेगा।

पिथौरागढ़, ओपी अवस्थी : भारत-चीन सीमा पर भारत अगले वर्ष सामारिक दृष्टि से और मजबूत स्थिति में आ जाएगा। मार्च 2021 में भारत उत्तराखंड की सीमांत तहसील मुनस्यारी से चीन सीमा तक सड़क तैयार कर लेगा। 2008 में शुरू हुई 80 किमी की मुनस्यारी-धापा-मिलम सड़क का 75 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। इस सड़क के बन जाने से भारत न केवल चीन सीमा पर सामरिक रूप मजबूत हो जाएगा बल्कि विश्वप्रसिद्ध मिलम ग्लेशियर तक भी वाहन से पहुंचा जा सकेगा।

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पिथौरागढ़ जिले की सीमांत तहसील मुनस्यारी से 2008 में धापा होते हुए मिलम तक सड़क निर्माण का काम शुरू हुआ था। यह क्षेत्र भी व्यास घाटी में मई 2020 में तैयार गर्बाधार-लिपुलेख सड़क वाले क्षेत्र की तरह ही बेहद विषम है। ऊंचे पहाड़ों को काटना बेहद मुश्किल काम है। बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) सड़क का कटान धापा और मिलम दोनों ओर से कर रहा है। मिलम से 21 किमी नीचे की ओर सड़क कटिंग के साथ ही ग्वांखा में पुल निर्माण का कार्य पूरा कर चुका है। इधर, धापा से बोगडियार तक सड़क पूरी कर ली गई है। अब बीच में सिर्फ 21 किमी सड़क का निर्माण कराया जाना बाकी है। पीके राय, कमांडिंग ऑफिसर, बीआरओ ने बताया कि मुनस्यारी-धापा-मिलम मार्ग का निर्माण कार्य तेजी के साथ किया जा रहा है। कार्य प्रगति पर है। समय से सड़क निर्माण का कार्य पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है।

नाहर देवी की चट़्टान कटते ही मिल जाएगी फतह

निर्माणाधीन सड़क में नाहर देवी की चट्टान सबसे चुनौतीपूर्ण है। मार्ग निर्माण में तेजी के लिए बीआरओ ने यहां पर मजदूरों की संख्या बढ़ा दी है। करीब 300 मजदूर यहां काम कर रहे हैं। हेलीकॉप्टर से मशीनें पहुंंच चुकी हैं। कार्य में तेजी लाने के लिए लीलम के बाद नाहर देवी में भी बीआरओ का कैंप बन चुका है।

मालछू तक पहुंचने लगे वाहन

मुनस्यारी से मिलम तक निर्माणाधीन मार्ग में मुनस्यारी की तरफ से मालछू तक वाहन पहुंचने लगे हैं। इससे आगे मार्ग के कटान का कार्य जारी है। जबकि मिलम से नीचे की तरफ मापांग तक सड़क काट दी गई है। नवंबर तक मौसम अनुकूल रहने पर सड़क निर्माण कार्य में तेजी रहेगी। जिमीघाट पर बीआरओ द्वारा 70 मीटर लंबा पुल तैयार हो चुका है।

मुनस्यारी से चीन सीमा तक पहुंचना होगा आसान

सड़क का निर्माण पूरा हो जाने के बाद धारचूला तहसील के साथ ही मुनस्यारी तहसील से भी भारत की चीन सीमा तक पहुंच आसान हो जाएगी। मिलम ग्लेशियर और मिलम क्षेत्र अपने नैसॢगक सौंदर्य के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। गोरी नदी का उद्गम मिलम ग्लेशियर से ही होता है। मिलम ग्लेशियर को देखने के लिए हर वर्ष हजारों देशी-विदेशी पर्यटक यहां पहुंचते हैं। सड़क बन जाने से सैलानी मुनस्यारी से वाहन से सीधे मिलम पहुंच सकेंगे। अभी पर्यटकों को यहां पहुंचने के लिए 66 किमी की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है।

भारत-तिब्बत व्यापार के लिए यही थे पैदल रास्ते

चीन सीमा पर निॢमत तवाघाट-लिपुलेख मार्ग, तवाघाट-तिदांग मार्ग और निर्माणाधीन धापा-मुनस्यारी मार्ग से 1962 से पूर्व भारत-तिब्बत व्यापार होता था। लिपुलेख से व्यापारी पैदल ही तिब्बत के तकलाकोट पहुंचते थे तो मिलम मार्ग से व्यापारी तिब्बत की ज्ञानिमा मंडी पहुंचते थे। एक बार फिर तीनों उच्च हिमालयी घाटियां अब चीन सीमा तक मोटर मार्ग से जुडऩे जा रही है, जो जिले की चीन से लगी 136 किमी लंबी सीमा पर सामरिक दृष्टि से मजबूती प्रदान करेंगी।


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