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खूबसूरत चोटियाें के चलते खिंचे चले आते हैं पर्वतारोही, त्रिशूल पर्वत पर एवलांच से पर्वतारोही बेचैन

त्रिशूल पर्वत के लिए गढ़वाल के कर्णप्रयाग से यात्रा शुरू होती है। घाट सुतोल पिपेल गांव तक वाहन के जरिए पहुंचा जाता है। उसके बाद पैदल रास्ता है। कुनारा-कुबड़ी होते हुए टिला समुद्र ग्लेशियर पहुंचते हैं। यहां से हेमकुंड पर्वतारोहियों का अंतिम पड़ाव होता है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Fri, 01 Oct 2021 07:20 PM (IST)Updated: Sat, 02 Oct 2021 07:21 AM (IST)
नौसेना के पांच जवान और एक पोर्टर उसके चपेट में आने की सूचना पर पर्वातारोही भी बेचैन हो गए हैं।

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : कुमाऊं-गढ़वाल में हिमालय की चोटिया बेहद सुंदर होने के साथ ही जटिल भी हैं। पर्वतारोही की पहली पसंद भी यह चोटियां हैं। जिसके कारण चोटियों के आरोहण के लिए समय-समय पर टीमें गगनचुंबी हिमालय पर्वत की श्रृंखलाओं का रुख करते हैं। चमोली जिले के त्रिशूल पर्वत पर एवलांच आने से नौसेना के पर्वतारोही दल के पांच जवान और एक पोर्टर उसके चपेट में आने की सूचना पर पर्वातारोही भी बेचैन हो गए हैं।

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त्रिशूल पर्वत के लिए गढ़वाल के कर्णप्रयाग से यात्रा शुरू होती है। घाट, सुतोल, पिपेल गांव तक वाहन के जरिए पहुंचा जाता है। उसके बाद पैदल रास्ता है। कुनारा-कुबड़ी होते हुए टिला समुद्र ग्लेशियर पहुंचते हैं। यहां से हेमकुंड पर्वतारोहियों का अंतिम पड़ाव होता है। पर्वतारोही यहां बेस कैंप बनाते हैं। कैंप वन और टू के बाद त्रिशूल पर चढ़ाई शुरू हो जाती है। इसी रास्ते से पर्वारोही वापस भी आते हैं।

त्रिशूल की तरफ जाने के लिए दूसरा रूट साहसिक यात्री इस्तेमाल करते हैं। चमोली जिले के देवाल, लोहाजंग होते हुए बाण गांव तक सड़क है। वहां से बेदनी बुग्याल, पाथर नचनिया, बगुवा बांसा, रूपकुंड, ज्योरा गलिपास होते हुए टिला समुद्र ग्लेशियर पहुंचा जाता है। वहां से होमकुंड तक साहसिक पर्यटक पहुंचते हैं। पवर्तारोही भुवन चौबे ने बताया कि यह रास्ता काफी लंबा और खतरनाक है। 

कौसानी त्रिशूल पर्वत की दिखती है पीठ

स्थानीय पवर्तारोही केशव भट्ट के अनुसार बागेश्वर जिल के कौसानी और गरुड़ से त्रिशूल पर्वत की पीठ दिखती है। जिसे नंदा घुंघट के नाम से भी लोग पुकारते हैं। चमोली और बागेश्वर जिले की सीमा पर ग्वालदम स्थित है। हालांकि, ग्वालदम चमोली जिले का ही भाग है। होमकुंड के लिए 12 वर्ष में राजजात यात्रा भी होती है। उन्होंने बताया कि छांगूछ, मैकतोली, ट्रेल पास आदि ग्लेशियर में एवलांज आने की घटनाएं होती रही हैं। जिसमें अब तक कई पर्वतारोही चपेट में आए हैं। त्रिशूल के लिए नौसेना के पर्वतारोहियों की टीम भी घाट होते हुए त्रिशूल के लिए निकली थी। तीन चोटियों का समूह होने के कारण इसे त्रिशूल कहते हैं।


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