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Raksha Bandhan 2020 : अपने हाथों से तैयार स्पेशल राखी से सजेगी भाई की कलाई

Raksha Bandhan 2020 गलवान घाटी में चीन के साथ हुई तनातनी के माहौल के बाद चीन निर्मित वस्तुओं के प्रतिकार का माहौल बना है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 06:09 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 06:09 PM (IST)
Raksha Bandhan 2020 : अपने हाथों से तैयार स्पेशल राखी से सजेगी भाई की कलाई

हल्द्वानी, जेएनएन : गलवान घाटी में चीन के साथ हुई तनातनी के माहौल के बाद चीन निर्मित वस्तुओं के प्रतिकार का माहौल बना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फाॅर लोकल नारे से स्वदेशी वस्तुओं का क्रेज बढ़ा है। इसका असर राखी पर भी दिखा है। अकेले नैनीताल जिले में बीस से अधिक स्वयं सहायता समूह राखी तैयार करने में जुटे रहे। कई प्रतिभाओं ने लोक कला ऐपण को राखी पर उतारकर स्वरोजगार की संभावनाओं को जन्म दिया है। महिलाओं के प्रयास को आत्मनिर्भरता की दिशा में सराहनीय कदम के तौर पर देखा जा रहा है। महिलाओं व युवतियों ने संकल्प लिया है कि इस बार वह भाईयों की कलाई को स्पेशल राखी से सजाएंगी।

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हमने प्रयोग के तौर पर पहली बार राखी तैयार की। ऐपण का ज्ञान और शौक दोनों था। सोचा इस बार इसे राखी पर प्रयोग किया जाएगा। राखी पर भैया कोरोना से बचना, स्टे होम जैसे स्लोगन लिखे। इसे खूब पसंद किया गया। हमने पांच हजार से अधिक राखी तैयार तक 50 हजार का व्यवसाय किया।

-सोनी पंत, अध्यक्ष महिला मंगल दल मानपुर पश्चिम हल्द्वानी

ऐपण पर मैं पिछले दो वर्षों से काम कर रही हूं। अब हमने कई लोगों को साथ लेकर टीम के तौर पर काम शुरू किया है। ददा, भुला, भौजी लिखी ऐपण की राखी दिल्ली, मुंबई तक पसंद की गई। इस बार हमने तीन हजार राखियां बनाई। हमारी कोशिश रहेगी अगली बार मुहिम और आगे तक जाए।

- मीनाक्षी खाती, संस्थापक द ऐपण प्रोजेक्ट रामनगर

गिरिजा बुटीक एवं महिला विकास संस्था से हमने तीन दिन का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद हमने राखियां बनाने का काम शुरू किया। पांच हजार से अधिक राखियां तैयार की। महिलाओं के हाथों से तैयार स्वदेशी राखी खूब पसंद की जा रही हैं। बाजार में बेचने के साथ घर से बिक्री की जा रही है।

-संगीता मेहरा, अध्यक्ष लवी स्वयं सहायता समूह कठघरिया

हम लोग एक माह पहले से राखी बनाने में जुट गए थे। पीएम मोदी के वोकल फार लोकल से प्रेरित होकर छह हजार से अधिक राखियां तैयार की। हमारे समूह ने कुसुमखेड़ा में बैंक के बाहर दुकान भी लगाई। मुझे लगता है कि अगली बार से अन्य समूह भी इस तरह का काम शुरू करेंगे।

- आशा बिष्ट, खुशी स्वयं सहायता समूह छड़ायल


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