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जल संस्थान के 2200 से अधिक संविदा कर्मचारी हड़ताल पर, 170 का काम 30 कर्मचारियों से लिया जा रहा

जल संस्‍थान में हड़ताल जल संस्थान में सालों से संविदा व श्रमिक कैटेगिरी में काम कर रहे कर्मचारियों के आंदोलन की राह पर बढ़ने से अफसरों के सामने संकट खड़ा हो गया है। जिसका असर जनता पर पड़ रहा है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 11:10 AM (IST)Updated: Fri, 15 Oct 2021 11:10 AM (IST)
जल संस्थान के 2200 से अधिक संविदा कर्मचारी हड़ताल पर, 170 का काम 30 कर्मचारियों से लिया जा रहा

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : जल संस्थान में सालों से संविदा व श्रमिक कैटेगिरी में काम कर रहे कर्मचारियों के आंदोलन की राह पर बढ़ने से अफसरों के सामने संकट खड़ा हो गया है। जिसका असर जनता पर पड़ रहा है। ढाई लाख की आबादी को पानी पहुंचाने के लिए नलकूप आपरेटर से लेकर टैंकर चालक की जिम्मेदारी निभाने वाले हल्द्वानी डिवीजन के 170 कर्मचारियों ने काम बंद कर धरना चालू कर रखा है। ऐसे में जल संस्थान के लिए अपने 30 कर्मचारियों से काम करवाना बड़ी चुनौती है। क्योंकि, अधिकांश कर्मी उम्रदराज हैं। जबकि फील्ड कार्य होने के कारण दिन भर दौडऩा पड़ता है।

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समान कार्य-समान वेतन, स्थायी नियुक्ति समेत अन्य मांगों को लेकर क्रमिक अनशन और धरना देने के बावजूद जल संस्थान ने संविदा व श्रमिक वर्ग के कर्मचारियों को नजरअंदाज कर दिया। जिस वजह कुमाऊं में कार्यरत 2200 से अधिक कर्मचारी गुरुवार से हड़ताल पर चले गए। पहले दिन ही महानगर हल्द्वानी की पेयजल व्यवस्था लड़खड़ा हो गई। 50 नलकूप तो पूरी तरह बंद रहे। जबकि जल संस्थान के सात टैंकर परिसर में खड़े होने की वजह से प्रभावित इलाकों में पानी बांटने के लिए किराये के टैंकरों की संख्या बढ़ानी पड़ी। वहीं, आज से लोगों का आक्रोश भी बढ़ सकता है। कई इलाकों में लोगों ने नलकूप संचालन की जिम्मेदारी खुद लेने की बात तक कह दी। लोगों का कहना है कि पूर्व से आंदोलन तय होने के बावजूद जल संस्थान के अधिकारी जनता का संकट टाल नहीं सके। अफसरों के सभी दावे हवाई साबित हुए।

नलकूपों में लगे ताले और शिकायत कक्ष खाली

जल संस्थान के संविदा व श्रमिक श्रेणी के कर्मचारियों की हड़ताल के पहले दिन ही पेयजल आपूर्ति लड़खड़ा गई। शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के करीब 50 नलकूप नहीं चल सके। आपरेटर नहीं होने के कारण ताले लटके रहे। जल संस्थान दफ्तर में लोगों की समस्या सुनने के लिए बनाए गया शिकायती कक्ष भी खाली नजर आया। यहां तैनात आइटीआइ के प्रशिक्षुकों को भी जल संस्थान ने फील्ड ड्यूटी में लगाया था। भीमताल में धरने पर जुटे कर्मचारियों से जीएम व ईई की समझौता वार्ता विफल होने से शुक्रवार से पानी का संकट और बढ़ जाएगा।

हड़ताल में छह जिलों के 2200 से अधिक कर्मचारी शामिल

उत्तराखंड जल संस्थान संविदा-श्रमिक संघ के बैनर तले कुमाऊं की अलग-अलग डिवीजनों में तैनात कर्मचारी गुरुवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। स्थायी नियुक्ति, समान कार्य-समान वेतन, साप्ताहिक अवकाश समेत अन्य मांगों को लेकर भीमताल स्थित महाप्रबंधक कार्यालय में धरना दिया गया था, उसके बावजूद मांग नहीं मानी गई। संघ का दावा है कि हड़ताल में छह जिलों के 2200 से अधिक कर्मचारी शामिल हैं। वहीं, शीशमहल स्थित फिल्टर प्लांट में रोजाना सफाई करनी होती है, मगर हड़ताल की वजह से सुबह देरी हो गई, जिसके बाद नियमित स्टाफ को जुटाया गया। ईई संजय श्रीवास्तव ने अपनी मौजूदगी में प्लांट का संचालन कराया। हालांकि, बड़ी आबादी को नलकूप से आपूर्ति होने के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। पहले दिन पानी स्टोरेज के कारण थोड़ा-बहुत काम चल गया लेकिन हड़ताल के दूसरे दिन दिक्कत काफी बढ़ जाएगी।

यह काम हुए प्रभावित

नलकूप आपरेटर, वाल्व आपरेटर, टैंकर चलाने के अलावा संविदा व श्रमिक वर्ग के कर्मचारियों से मरम्मत भी कराई जाती है। जल संस्थान के पास स्थायी कर्मचारियों की संख्या ज्यादा नहीं होने के कारण आपूर्ति का सुचारू होना संभव नहीं है। इसलिए जल संस्थान भी संकट में आ गया है। वहीं, संघ के हल्द्वानी शाखाध्यक्ष गोविंद आर्य ने बताया कि सुनवाई होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।

हल्द्वानी में कुल 100 नलकूप

जल संस्थान के पास खुद के 75 नलकूप हैं। इसके अलावा सिंचाई के 15 और स्वैप योजना के दस नलकूप भी पानी आपूर्ति में इस्तेमाल किए जाते हैं। कर्मचारियों के संकट की वजह से आधे ज्यादा नलकूप में ताले लगे रहे। कुसुमखेड़ा, पनियाली, लोहरियासाल तल्ला, लोहरियासाल मल्ला, बिठौरिया एक, बिठौरिया दो, छड़ायल सुयाल, छड़ायल नयाबाद, जयदेवपुरम के अलावा बरेली रोड और रामपुर रोड के नलकूप भी ठप रहे।

खुद के टैंकर खड़े, किराये के दौड़ाए

जल संस्थान प्रभावित इलाकों में टैंकर के जरिये पानी उपलब्ध कराता है। अस्थायी तौर पर काम करने वाले सात चालक भी हड़ताल में शामिल थे। एक चालक कम से कम सात चक्कर लगाता है। ऐसे में सरकारी टैंकर परिसर में खड़े रह गए। मजबूरी में किराये के प्राइवेट टैंकरों की संख्या बढ़ानी पड़ी।

ताला तोड़ खुद चलाएंगे नलकूप

हिम्मतपुर तल्ला निवासी राकेश भट्ट ने बताया कि नवमी के दिन पानी के संकट की वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। हिम्मतपुर तल्ला के नलकूप कक्ष के बंद होने के कारण वैकल्पिक व्यवस्था बनाने के दावों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं, जज फार्म निवासी सामाजिक कार्यकर्ता उमेश बिनवाल ने कहा कि महकमे के अडिय़ल रूख की वजह से कर्मचारी हड़ताल पर गए हैं। जल संकट को दूर करने के लिए शुक्रवार को स्थानीय लोगों संग मिलकर जर्ज फार्म के नलकूप का ताला तोड़कर संचालन अपने हाथों में लिया जाएगा।


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